
मुंबई। साइबर अपराध के एक मामले में मुंबई की आर.ए.के.मार्ग पुलिस टीम को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने एक अंतरराज्यीय गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों द्वारा एक व्यापक ‘डिजिटल अरेस्ट’ का रैकेट चलाने का भंडाफोड़ किया है। ये गिरोह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के अधिकारी बताकर पीड़ितों से बड़ी रकम ट्रांसफर करवाते थे।
यह मामला 25 से 28 सितंबर 2025 के बीच सामने आया। जब एक पीड़ित व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गई, जिसे जालसाजों से बार-बार व्हाट्सएप वॉइस और वीडियो कॉल आ रहे थे, जिसमें दावा किया जा रहा था कि उसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दोषी पाया गया है। कॉल करने वालों ने खुद को वरिष्ठ जांच अधिकारी बताते हुए, व्यक्ति के बैंक खातों को फ्रीज करने की धमकी दी और सत्यापन के लिए धनराशि ट्रांसफर करने पर ज़ोर दिया। ऐसा न करने पर उसे तुरंत गिरफ्तार करने का डर भी दिखाया गया। जिसके बाद अपनी गिरफ्तारी के डर से शिकायतकर्ता ने 3 दिनों की अवधि में कई बैंक खातों में 70 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
बार-बार ठिकाने बदल रहे थे आरोपी!
पीड़ित की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए, आर.ए.के. मार्ग पुलिस ने तकनीकी जांच शुरू की, जिसमें लेन-देन और संचार के डिजिटल फ़ुटप्रिंट का पता लगाया गया। पुलिस ने कई खातों और उपकरणों में गतिविधियों पर नज़र रखी, जिसके परिणामस्वरूप 15 बैंक खाते फ्रीज किए गए और 10.5 लाख रुपये बरामद किए गए। आगे के डिजिटल विश्लेषण से पता चला कि आरोपी गुजरात और राजस्थान के ठिकानों से काम कर रहे थे, जिससे तीन समन्वित पुलिस टीमों ने संदिग्धों की अंतर्राज्यीय तलाश शुरू कर दी। लगातार तकनीकी जांच और ज़मीनी तलाशी के दौरान संदिग्ध बार-बार ठिकाने बदलते रहे, लेकिन पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जिनकी पहचान सुरेश कुमार मगनलाल पटेल (51), मुसरन इकबालभाई कुंभार (30), चिराग महेशभाई चौधरी (29),अंकित कुमार महेशभाई शाह (40), वासुदेव उर्फ विवान वालजीभाई बारोट (27), और युवराज उर्फ मार्को लक्ष्मण सिंह सिकरवार (34), के रूप में हुई।
शुक्रवार, (17 अक्टूबर) को एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जोन-4 की डीसीपी श्रीमती रागसुधा आर. ने बताया कि आरोपी पिछले दो-तीन सालों से साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय थे। मुख्य संदिग्ध, जिसकी पहचान युवराज उर्फ मार्को के रूप में हुई है, इस ऑपरेशन तक पकड़ से दूर रहा था। यह गिरोह ऑनलाइन घोटालों को बढ़ावा देने वाले लॉजिस्टिक ढांचे- सिम कार्ड, चालू खाते और अस्थायी मोबाइल नंबर की खरीद और आपूर्ति में माहिर है और इन्हें 6 महीने से लेकर एक साल तक की अवधि के लिए अन्य धोखेबाजों को किराए पर देता है।
पुलिस के मुताबिक, यह आपूर्ति श्रृंखला घोटालेबाजों को जल्दी से विश्वसनीय पहचान बनाने और खातों के जाल के माध्यम से उगाही गई धनराशि को सफेद करने में सक्षम बनाती है।
पुलिस की जांच में संबंधित शिकायतों का एक विस्तृत जाल भी सामने आया है। अब तक इस गिरोह से जुड़ी 31 साइबर शिकायतें, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल सहित कम से कम 13 राज्यों में दर्ज की गई हैं। इसी तरह की एक और घटना तब सामने आई जब पनवेल निवासी 68 वर्षीय एक व्यक्ति को 25 सितंबर 2025 को इसी तरह के व्हाट्सएप वीडियो कॉल आए और उन्हें 6 अक्टूबर तक “डिजिटल अरेस्ट” करके रखा गया, जब पुलिस के निर्देश पर उनके रिश्तेदारों ने हस्तक्षेप किया और 40 लाख रुपये के हस्तांतरण को रोक दिया।
वहीं, मुंबई के शिकायतकर्ता से वसूले गए 70 लाख रुपयों को मिलाकर, पुलिस का अनुमान है कि इस रैकेट से जुड़ी कुल राशि 1.1 करोड़ रुपये से ज़्यादा है। साथ ही यह 31 शिकायतों की जांच पूरी होने पर अंतिम आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
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