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मूसलाधार बारिश से थमी मुंबई; बीएमसी की जिम्मेदारी पर फिर उठे गंभीर सवाल?

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मुंबई। मुंबई में कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से एक बार फिर मुंबई को थम सी गई है। सड़कें और हाईवे पानी में डूब गए हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट रुक गया है और अलग-अलग जगहों पर हज़ारों यात्री फंसे रह गए। लोकल ट्रेन यात्रियों को कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एयरपोर्ट जाने वाली सड़कें जलभराव से बंद होने के कारण लोगों की कई फ्लाइट छूट गईं।
पिछले दो दिनों से शहर के लगभग 90% दुकानें, होटल और रेस्टोरेंट बंद चल रहे हैं। स्कूल और कॉलेजों को बाढ़ की वजह से छुट्टी घोषित करनी पड़ी। पनवेल, रायगढ़, कर्जत, ठाणे, वसई, विरार और बोरीवली से रोज़ाना काम पर आने वाले मज़दूर और कर्मचारी अचानक दफ्तर और दुकानें बंद होने से परेशान होकर किसी तरह अपने घर लौटे। निजी कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गई है। मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से ठप कर दिया है। भारी बरसात के चलते सड़कों, बाजारों और आवासीय क्षेत्रों में जलजमाव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। बारिश को लेकर राज्य सरकार की ओर से बैठकों का दौर जारी है।

मुंबईकर पूछ रहे इसका जिम्मेदार कौन?
बता दें कि हर साल बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) नालों, सीवर लाइनों और मीठी नदी की सफाई पर हज़ारों करोड़ रुपये खर्च करती है। बड़े जंक्शन पर पंपसेट और कर्मचारी लगाए जाते हैं। फिर भी हर मानसून में मुंबई डूब ही जाती है। मुंबईकरों का आरोप है कि बीएमसी की सफाई व्यवस्था में बड़ा भ्रष्टाचार है, जिसके चलते मैट्रो सिटी कही जाने वाली में रहने वाले मुंबईवासियों को ये दिन हर साल देखना पड़ता है। केवल 25-30% सफाईकर्मी ही असली काम करते हैं, बाकी सिर्फ हाज़िरी लगाकर घर चले जाते हैं और तनख्वाह से हिस्सा आला-अधिकारियों को दे देते हैं। जानकार बताते हैं कि बीएमसी में यह व्यवस्था दशकों से चली आ रही है।
बारिश में फंसे एक परेशान नागरिक ने कहा कि मुंबई कोई गांव नहीं है। हर सड़क पर नाले और मैनहोल बने हैं। यदि बीएमसी सफाईकर्मी ईमानदारी से काम करें तो सड़कों पर पानी भर ही नहीं सकता। सिर्फ दो दिनों में दुकानदारों, छोटे व्यापारियों और रोज़ाना कमाने वाले मज़दूरों को हज़ारों करोड़ का नुकसान हुआ है। फिर भी बीएमसी के पास स्थायी समाधान नहीं है। लोगों की नाराज़गी बढ़ रही है, आख़िर कब तक हर साल मुंबई ऐसे ही डूबती रहेगी और टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद होता रहेगा? महाराष्ट्र में बारिश के कहर से अब तक सात लोगों के मरने की भी खबर सामने आई है।

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