सूरजगढ़ उपखण्ड क्षेत्र में शुक्रवार को एक बड़ा विवाद सामने आया, जब नायब तहसीलदार पिलानी, हरीश यादव ने उपखण्ड अधिकारी के आदेश के बावजूद एक मकान को जेसीबी मशीन से ढहा दिया। इस घटना ने प्रशासनिक लापरवाही और विरोध की एक नई मिसाल पेश की है।
26 अगस्त को सूरजगढ़ उपखण्ड अधिकारी ने इस मकान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया था, जिसका मतलब था कि मकान को तोड़ने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। हालांकि, शुक्रवार को नायब तहसीलदार हरीश यादव ने जेसीबी मशीन की मदद से मकान ढहा दिया। यह कार्यवाही उन आदेशों के खिलाफ थी, जो उपखण्ड अधिकारी द्वारा दी गई थी।
जब मकान ढहाया गया, तब परिवार के लोगों ने तत्काल उपखण्ड अधिकारी के आदेश की प्रति अधिकारियों को दिखाई और मामले में हस्तक्षेप की मांग की। हालांकि, तब तक मकान पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो चुका था। मकान के मालिकों ने उपखण्ड अधिकारी से संपर्क किया, और उनकी ओर से कार्यवाही रुकवाने की अपील की गई। इसके बाद, प्रशासन ने कार्यवाही रोकने का आदेश दिया, लेकिन तब तक मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका था।
घटना के बाद परिवार के सदस्यों ने प्रशासन और अधिकारियों के खिलाफ गहरी नाराजगी जताई। उनका कहना था कि प्रशासन की लापरवाही और त्वरित कार्रवाई से उनका घर और मेहनत बर्बाद हो गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगर उपखण्ड अधिकारी के आदेश का पालन किया गया होता, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि प्रशासन को कानून और आदेश का पालन करना चाहिए था, और यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि न्याय का पालन हो। इस मामले में प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और लोग जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
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