जिले में लगातार बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। अब किसी भी सामाजिक, धार्मिक या सांस्कृतिक समारोह में बिना अनुमति डीजे या अन्य ध्वनि यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।
पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल ने बताया कि जिले में कई बार आयोजनों के दौरान तेज आवाज़ में डीजे बजाने और देर रात तक लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल की शिकायतें मिल रही थीं। इससे न सिर्फ आमजन को परेशानी होती है, बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों के आसपास शांति भंग होती है।
उन्होंने कहा कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत बिना अनुमति लाउडस्पीकर, डीजे या किसी भी प्रकार के ध्वनि उपकरण का उपयोग करना कानूनी अपराध है। ऐसे में पुलिस अब जिलेभर में निगरानी बढ़ाएगी और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ जुर्माने व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अनुमति अनिवार्य होगी
किसी भी कार्यक्रम — चाहे वह शादी हो, धार्मिक जुलूस, सार्वजनिक सभा या सांस्कृतिक आयोजन — में डीजे या साउंड सिस्टम लगाने से पहले संबंधित थाने से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अनुमति केवल सीमित ध्वनि स्तर (55 डेसिबल तक) और निर्धारित समय (रात 10 बजे तक) के लिए दी जाएगी।
विशेष निगरानी टीम बनेगी
एसपी ने बताया कि हर थाना क्षेत्र में एक विशेष निगरानी टीम गठित की जाएगी जो शाम के समय कार्यक्रम स्थलों का निरीक्षण करेगी। अगर किसी कार्यक्रम में बिना अनुमति डीजे या तेज आवाज़ में साउंड सिस्टम बजाया जाता है, तो उपकरण जब्त कर लिए जाएंगे और आयोजक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
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