सूरतगढ़ छावनी क्षेत्र में 7 एसजीएम के पास खेतों में रविवार को भीषण आग लग गई। अचानक धुएं का गुबार उठता दिखाई दिया, जिसे देखकर आसपास के ग्रामीण सहम गए। धुआं देखकर 7 एसजीएम, 8 एसजीएम, साहुवाला व 8 एसएचपीडी गांवों के सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंच गए।
सैन्य क्षेत्र होने के कारण ग्रामीण छावनी में प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने सेना के जवानों के साथ बाहर से ही आग बुझाने के प्रयास शुरू कर दिए। तेज हवाओं के कारण आग ने भाखड़ा नहर की एसजीएम माइनर के दूसरी ओर विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
घटना की सूचना मिलने पर सूरतगढ़ से दमकल की गाड़ियां तुरंत मौके पर भेजी गईं। ग्रामीणों व आसपास के ईंट-भट्ठा मालिकों ने भी सहयोग करते हुए ट्रैक्टरों के माध्यम से दो दर्जन से अधिक पानी के टैंकर उपलब्ध कराए। सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर आग पर काबू पाने में सक्रिय भूमिका निभाई। सेना ने भी छावनी के अंदर से दमकल की गाड़ियों की मदद ली। करीब पांच घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शाम सात बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया।
हालांकि तब तक छावनी क्षेत्र में सैकड़ों पेड़-पौधे जलकर राख हो चुके थे। आग की लपटों ने किसानों की फसलों को भी नहीं बख्शा। किसान निर्मल सिंह के 5 बीघा और बसंत सिंह के 10 बीघा खेत में गेहूं की कटाई के अवशेष पूरी तरह जलकर राख हो गए। इस भीषण आग से प्राकृतिक संसाधनों और किसानों की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। गनीमत रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। स्थानीय प्रशासन और सेना ने मिलकर स्थिति को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। ग्रामीणों की एकजुटता और त्वरित सहायता ने आग को और फैलने से रोक दिया।
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