– सैकड़ों वर्ष पुराना है मेरा इतिहास, समाज की नीतियाें और अनीतियों का गवाह भी हूं
रामानुज शर्मा
नई दिल्ली, 07 नवंबर (हि.स)। मैं पटना बोल रहा हूं…। मेरा इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। मैंने न जाने कितने ही शासकों के साम्राज्य को उदय और अस्त होते देखा है। मैं उनकी प्रजा और सामाज के लिए बनी नीतियाें और अनीतियों का गवाह हूं। मैं पल-पल और न्याय-अन्याय का साक्षी हूं।
मेरे इतिहास का आरंभ 490 ईसा पूर्व में हुआ। हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने इसको अपनी राजधानी मगध के लिए पाटलिपुत्र के रूप में विकसित किया। अजातशत्रु ने इसे गंगा नदी के किनारे एक छोटे किले के रूप में बनवाया था। उदयन ने इसे गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थापित किया और यह मगध की राजधानी बना।
यह चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में पाटलिपुत्र एक महानगरीय केंद्र बन गया। यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक माना जाता था। चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक जैसे शासकों के अधीन यह खूब फला-फूला और विकसित होने के साथ ज्ञान का केंद्र बना। यह आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे विद्वानों का घर था। मुगलों और शेरशाह सूरी के शासनकाल में भी इस प्राचीन महानगर अपना महत्व नहीं खोया।
शेरशाह सूरी ने पाटिलपुत्र को पुनर्जीवित किया और आधुनिक प्रशासन और ग्रैंड ट्रंक रोड की नींव रखी। हालांकि इसको लेकर भी इतिहास में बहुत गफलत है कि क्योंकि पांडव और श्रीराम वन गमन को लेकर जो साक्ष्य सामने आ रहे हैं, उससे प्रमाणित होता है कि इस पर मुगलों ने अपना ठप्पा लगाया और इतिहासकारों ने उसे उनके प्रशस्ति गान में लिखा। बक्सर के युद्ध के बाद यह अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया था।
आज के आधुनिक पटना जिले की स्थापना अंग्रेजों ने सितंबर, 1770 में की थी। तब इसे एक प्रांतीय परिषद के रूप में स्थापित किया गया था। 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने यहाँ एक किला बनवाया और बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1704 में इसका नाम बदलकर ‘अजीमाबाद’ कर दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम 1857 के विद्रोह में पीर अली और वीर कुंवर सिंह की अंग्रेजों से लड़ाई हुई। महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन की शुरुआत भी इसी शहर से हुई और गांधी मैदान भारतीय स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि रहा।
पटना की विरासत में भगवान बुद्ध का योगदान –
बिहार की राजधानी पटना की विरासत में भगवान बुद्ध का बहुत योगदान रहा। पारंपरिक बौद्ध साहित्य में भगवान बुद्ध ने भविष्यवाणी की थी कि यह गाँव एक दिन महानगर बनेगा, लेकिन आग, पानी और कलह से भयभीत रहेगा। शायद यही कारण है कि पटना में इस तरह की उथल पुथल देखने को मिलती है। सिख धर्म के लिए पटना बहुत ही सम्मानित महानगर माना जाता है। यह सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान है और तख्तश्री पटना साहिब यहां एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं।
पटना आजाद भारत के बिहार राज्य की राजधानी है। गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित पटना न केवल एक राजनीतिक और प्रशासनिक केंद्र है, बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही सभ्यता का उद्गम स्थल भी है। पटना दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है, जिसका समृद्ध इतिहास हजारों साल पुराना है। यह अपने पूरे इतिहास में व्यापार, संस्कृति और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। आज, पटना आधुनिक विकास और ऐतिहासिक स्थलों के मिश्रण वाला एक हलचल भरा शहर है।
कई पुस्तकों में मिलता है पटना का ऐतिहासिक साक्ष्य –
आज के पटना और बिहार प्रदेश की राजधानी का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र, पुष्पपुरी और कुसुमपुर भी था। यूनानी राजदूत और इतिहासकार मेगस्थनीज ने 290 से 350 ईसापूर्व में अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पटना का ऐतिहासिक उल्लेख कई और पुस्तकों में भी मिलता है। मेगस्थनीज की इंडिका के अलावा ‘जियोग्राफिका’, राजशेखर की रचनाएं और बौद्ध ग्रंथ ‘भगवती सूत्र’ में भी पटना का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा नवनीत सहाय की पुस्तक ‘पटना: एक स्वर्ग खो गया!’ में भी इसका विस्तृत उल्लेख है।
आजादी के बिहार प्रदेश की राजधानी पटना की दशा और दिशा –
देश की आजादी के बाद पटना ने प्रदेश की राजधानी के रूप में कई अहम राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को देखा। इनमें छात्र आंदोलन और सामाजिक न्याय के लिए हुए प्रदर्शन हैं। यह सांस्कृतिक और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। कई नए विश्वविद्यालय और संस्थान स्थापित हुए और शहर की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध हुई। यही नही पटना ने गंगा नदी में आने वाली विनाशकारी बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना किया है।
पटना ने सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव को भी देखा है। आजादी के बाद के दशकों इसने सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव का बहुत अनुभव किया, जिसने शहर की शांति और सद्भाव को प्रभावित किया। शहर को आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जैसे कि गरीबी, बेरोजगारी और सीमित संसाधन, जिसने विकास की गति को धीमा कर दिया। तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रदूषण, भीड़भाड़ और बुनियादी ढांचे पर दबाव जैसी समस्याओं का भी इसे सामना करना पड़ रहा है।
पटना की प्राचीन की विरासत और पर्यटक स्थल-
-महावीर मंदिर।
-खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी।
-कुम्हरार पार्क।
-तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब ।
-गोलघर।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानुज शर्मा
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