एक किसान ने बालक गुरुनानक से कहा कि मैं तीर्थ यात्रा पर जाना रहा हूं. मैं 4 दिन बाद वापस आऊंगा. तुम तब तक मेरे खेत की रखवाली करना. मैं तीर्थयात्रा से वापस आने के बाद तुम्हें एक बोरी अनाज दूंगा. मेरे खेत में 10 बोरियां अनाज होता है. बालक गुरुनानक किसान की बात सुनकर तैयार हो गए.
अगले दिन जब गुरुनानक खेत की रखवाली कर रहे थे तो खेत में चिड़ियों का एक झुंड आ गया. अब उन्हें किसान की फसल की चिंता सताने लगी. उन्होंने भगवान को याद करते हुए कहा कि परमात्मा किसान की फसल की रक्षा करना और चिड़ियों को उनके हिस्से का अनाज दे देना. लेकिन किसान का अनाज खराब मत करना. यह बोलकर उन्होंने भगवान का ध्यान किया.
जब किसान तीर्थ यात्रा से लौटकर आया तो उसने अपने खेत में चिड़ियों के झुंड को देखा, जिसकी वजह से वह क्रोधित हो गया. उसने गुरुनानक से कहा कि तुम मेरे खेत की क्या देखभाल कर रहे हो. यह चिड़ियों का झुंड मेरी फसल बर्बाद कर रहा है.
तब गुरु नानक ने किसान से कहा कि आप चिंता मत करो, मुझे भगवान पर पूरा विश्वास है. आपके साथ कुछ भी गलत नहीं होगा. आप अनाज कटवाएं और आपके हिस्से का अनाज पूरा निकलेगा. किसान ने फसल काटी और जब अनाज के बोरे भरे गए तो 11 बोरे राज निकला. यह देखकर किसान बालक गुरु नानक के चरणों में गिर गया और कहने लगा कि आप बहुत महान हैं.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो लोग भगवान पर विश्वास करते हैं, उन पर भगवान की कृपा अवश्य होती है. उनके जीवन से परेशानियां खुद-ब-खुद समाप्त हो जाती हैं.
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