एफएमसीजी सेक्टर की कंपनी ITC Ltd में अमेरिका की इन्वेस्टमेंट कंपनी GQG ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 5.47% कर ली है. आईटीसी के शेयर प्राइस सोमवार को 418.50 रुपए के लेवल पर बंद हुए. कंपनी का मार्केट कैप 5.25 लाख करोड़ रुपए है.
अमेरिका इन्वेस्टमेंट फर्म GQG पार्टनर्स ने 28 मई को एक डील के माध्यम से भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों में से एक ITC Ltd में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. यह कदम ITC के सबसे बड़े शेयरधारक ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) द्वारा अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेचने के कुछ ही दिनों बाद उठाया गया है.
एक्सचेंज फाइल में GQG ने खुलासा किया कि उसने ITC में अतिरिक्त 0.51% हिस्सेदारी हासिल कर ली है, जिससे उसकी कुल हिस्सेदारी कंपनी की चुकता पूंजी का 5.47% हो गई है. GQG पार्टनर्स ने अडानी ग्रुप के स्टॉक में भी निवेश किया है.
इससे पहले GQG और पर्सन्स एक्टिंग इन कॉन्सर्ट (PACs) के पास ITC में 4.96% हिस्सेदारी थी. यह डील 28 मई को स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से एक्सिक्यूट की गई और 29 मई को सेटलमेंट हुआ.
निवेशक राजीव जैन के नेतृत्व में जीक्यूजी पार्टनर्स एलएलसी ने शामिल संस्थाओं के लिए निवेश प्रबंधक के रूप में काम किया और उनकी ओर से निवेश के फैसले लिए गए. अधिग्रहित शेयर पूरी तरह से चुकता इक्विटी शेयर हैं, जिनकी फेस वैल्यू 1 रुपये प्रति शेयर है.
इस अधिग्रहण का समय उल्लेखनीय है. यह तब हुआ जब BAT ने ब्लॉक डील के माध्यम से ITC में अपनी 2.5% हिस्सेदारी लगभग 12,900 करोड़ रुपये में बेची. ITC में लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर BAT ने इस सेलिंग के बाद अपनी हिस्सेदारी 25.4% से घटाकर 22.9% कर दी. कटौती के बावजूद BAT ITC का सबसे बड़ा शेयरधारक बना हुआ है.
बीएटी ने कहा कि हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राशि राशि का उपयोग उसके मौजूदा शेयर बायबैक कार्यक्रम को बढ़ाने में किया जाएगा, जो अब 2025 के लिए 1.1 बिलियन पाउंड है.
यह पहली बार नहीं है जब BAT ने ITC में अपनी हिस्सेदारी कम की है. मार्च 2023 में यूके स्थित तम्बाकू दिग्गज ने ब्लॉक डील के माध्यम से संस्थागत निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी का 3.5% बेचा.
कोलकाता में मुख्यालय वाला एक विविध समूह ITC, FMCG, होटल, पेपरबोर्ड, पैकेजिंग और एग्री बिज़नेस जैसे क्षेत्रों में काम करता है. इसका स्टॉक घरेलू और विदेशी दोनों संस्थागत निवेशकों द्वारा व्यापक रूप से रखा जाता है और इसे कई लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो का एक प्रमुख घटक माना जाता है.
GQG की नवीनतम खरीद के साथ बाजार पर नज़र रखने वालों का मानना है कि ITC में संस्थागत रुचि मजबूत बनी हुई है. इस बढ़ी हुई भागीदारी से लिक्विडिटी में सुधार करने और ग्लोबल फंडों के बीच ITC की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिल सकती है.
अमेरिका इन्वेस्टमेंट फर्म GQG पार्टनर्स ने 28 मई को एक डील के माध्यम से भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों में से एक ITC Ltd में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. यह कदम ITC के सबसे बड़े शेयरधारक ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) द्वारा अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेचने के कुछ ही दिनों बाद उठाया गया है.
एक्सचेंज फाइल में GQG ने खुलासा किया कि उसने ITC में अतिरिक्त 0.51% हिस्सेदारी हासिल कर ली है, जिससे उसकी कुल हिस्सेदारी कंपनी की चुकता पूंजी का 5.47% हो गई है. GQG पार्टनर्स ने अडानी ग्रुप के स्टॉक में भी निवेश किया है.
इससे पहले GQG और पर्सन्स एक्टिंग इन कॉन्सर्ट (PACs) के पास ITC में 4.96% हिस्सेदारी थी. यह डील 28 मई को स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से एक्सिक्यूट की गई और 29 मई को सेटलमेंट हुआ.
निवेशक राजीव जैन के नेतृत्व में जीक्यूजी पार्टनर्स एलएलसी ने शामिल संस्थाओं के लिए निवेश प्रबंधक के रूप में काम किया और उनकी ओर से निवेश के फैसले लिए गए. अधिग्रहित शेयर पूरी तरह से चुकता इक्विटी शेयर हैं, जिनकी फेस वैल्यू 1 रुपये प्रति शेयर है.
इस अधिग्रहण का समय उल्लेखनीय है. यह तब हुआ जब BAT ने ब्लॉक डील के माध्यम से ITC में अपनी 2.5% हिस्सेदारी लगभग 12,900 करोड़ रुपये में बेची. ITC में लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर BAT ने इस सेलिंग के बाद अपनी हिस्सेदारी 25.4% से घटाकर 22.9% कर दी. कटौती के बावजूद BAT ITC का सबसे बड़ा शेयरधारक बना हुआ है.
बीएटी ने कहा कि हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राशि राशि का उपयोग उसके मौजूदा शेयर बायबैक कार्यक्रम को बढ़ाने में किया जाएगा, जो अब 2025 के लिए 1.1 बिलियन पाउंड है.
यह पहली बार नहीं है जब BAT ने ITC में अपनी हिस्सेदारी कम की है. मार्च 2023 में यूके स्थित तम्बाकू दिग्गज ने ब्लॉक डील के माध्यम से संस्थागत निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी का 3.5% बेचा.
कोलकाता में मुख्यालय वाला एक विविध समूह ITC, FMCG, होटल, पेपरबोर्ड, पैकेजिंग और एग्री बिज़नेस जैसे क्षेत्रों में काम करता है. इसका स्टॉक घरेलू और विदेशी दोनों संस्थागत निवेशकों द्वारा व्यापक रूप से रखा जाता है और इसे कई लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो का एक प्रमुख घटक माना जाता है.
GQG की नवीनतम खरीद के साथ बाजार पर नज़र रखने वालों का मानना है कि ITC में संस्थागत रुचि मजबूत बनी हुई है. इस बढ़ी हुई भागीदारी से लिक्विडिटी में सुधार करने और ग्लोबल फंडों के बीच ITC की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिल सकती है.
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