टोक्यो, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान की टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नई खोज की है। उन्होंने पाया कि बिना पहचान वाली कोशिकाओं की गति को ध्यान से देखा जाए, तो यह पता लगाया जा सकता है कि वे कोशिकाएं कैंसर वाली हैं या स्वस्थ।
शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग में दो तरह की कोशिकाओं को देखा। उन्होंने एक डिश पर कैंसर वाली फाइब्रोसारकोमा कोशिकाएं और स्वस्थ फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएं देखीं। उन्होंने पाया कि इन कोशिकाओं के रास्तों को ट्रैक करके और उनका विश्लेषण करके, उन दोनों के बीच 94 प्रतिशत तक सटीकता से अंतर किया जा सकता है।
'पीएलओएस वन' नामक पत्रिका में छपे इस अध्ययन के अनुसार, यह तकनीक सिर्फ बीमारी का पता लगाने के अलावा कोशिका गति से जुड़े काम (जैसे क्षतिग्रस्त ऊतक की मरम्मत) पर भी रोशनी डाल सकती है।
प्रोफेसर हिरोमी मियोशी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने कोशिकाओं को देखने का एक तरीका खोजा। यह तरीका 'फेज-कंट्रास्ट माइक्रोस्कोपी' का इस्तेमाल करता है, जो कोशिकाओं को देखने के सबसे आम तरीकों में से एक है। यह तकनीक पूरी तरह लेबल फ्री होती है। इसलिए कोशिकाएं पेट्री डिश पर स्वाभाविक रूप से घूम सकती हैं। साथ ही, जिस प्लास्टिक की पेट्री डिश में कोशिकाओं को देखा जाता है, उसके ऑप्टिकल गुणों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता।
तस्वीर देखने की इस इनोवेटिव तकनीक से, शोधकर्ता बहुत सारी अलग-अलग कोशिकाओं के रास्तों को खोज पाए। उन्होंने उन रास्तों की कुछ खास बातों पर ध्यान दिया, जैसे कि कोशिकाएं कितनी तेजी से जा रही थीं और उनके रास्ते कितने मुड़े हुए थे। ये सब बातें कोशिकाओं के आकार बदलने और हिलने-डुलने में छोटे-छोटे अंतरों को दिखाती हैं।
एक जांच में, शोधकर्ताओं ने स्वस्थ फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं (जो जानवरों के ऊतकों का मुख्य भाग हैं) और घातक फाइब्रोसारकोमा कोशिकाओं (कैंसर वाली कोशिकाएं) की तुलना की। वे यह दिखाने में सफल रहे कि ये कोशिकाएं थोड़े अलग तरीकों से चलती हैं। उनकी चाल और गति अलग-अलग थी। इन सब चीजों को मिलाकर, 94 प्रतिशत सटीकता के साथ वे यह बता सकते थे कि कोई कोशिका कैंसर वाली है या नहीं।
टीम का यह काम न केवल कैंसर की कोशिकाओं को अलग करने का एक नया तरीका बताता है, बल्कि इससे कोशिकाओं की गतिशीलता पर आधारित किसी भी जैविक काम (जैसे घाव भरना और ऊतकों का बढ़ना) के अध्ययन में भी मदद मिलेगी।
--आईएएनएस
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