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बबूल की फली: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

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बबूल के पेड़ और इसके औषधीय गुण

आज हम बबूल की फलियों के बारे में चर्चा करेंगे। बबूल का हर हिस्सा, जैसे पत्तियाँ, फूल, छाल और फल, औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह एक कांटेदार वृक्ष है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है।


बबूल के पेड़ बड़े और घने होते हैं, जिन पर गर्मियों में पीले फूल और सर्दियों में फलियाँ लगती हैं। इसकी लकड़ी मजबूत होती है और यह आमतौर पर पानी के निकट और काली मिट्टी में उगता है। इसके कांटे 1 से 3 सेंटीमीटर लंबे होते हैं और पत्ते आंवले की पत्तियों से छोटे और घने होते हैं।


बबूल के तने मोटे होते हैं और इसकी छाल खुरदरी होती है। इसके फूल गोल और पीले होते हैं, जबकि फलियाँ सफेद रंग की होती हैं। इसके बीज गोल और चपटी आकृति के होते हैं।


बबूल को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह कफ, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़ों और शरीर में विष को समाप्त करने में सहायक है।


बबूल की फली के स्वास्थ्य लाभ

घुटनों का दर्द और अस्थि भंग: बबूल के बीजों को शहद के साथ तीन दिन तक लेने से घुटनों का दर्द और अस्थि भंग में राहत मिलती है।


टूटी हड्डी का उपचार: बबूल की फलियों का चूर्ण सुबह-शाम लेने से टूटी हड्डियाँ जल्दी जुड़ जाती हैं।


दांत का दर्द: बबूल की फली के छिलके और नमक से दांत का दर्द कम होता है।


पेशाब की समस्या: कच्ची बबूल की फली को सुखाकर पाउडर बनाकर सेवन करने से पेशाब की अधिकता कम होती है।


शारीरिक शक्ति में वृद्धि: बबूल की फलियों को मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।


रक्त बहने पर: बबूल की फलियों का मिश्रण खून बहने की समस्या को रोकता है।


मर्दाना ताकत: बबूल की कच्ची फलियों के रस का सेवन मर्दाना ताकत बढ़ाता है।


अतिसार: बबूल की फलियाँ और छाछ का सेवन अतिसार में लाभकारी है।


बबूल की छाल, पत्तियाँ और फूल के लाभ

मुंह के रोग: बबूल की छाल का काढ़ा मुंह के छालों को ठीक करता है।


पीलिया: बबूल के फूलों का चूर्ण पीलिया के उपचार में सहायक है।


महिलाओं के मासिक धर्म संबंधी विकार: बबूल की छाल का काढ़ा मासिक धर्म में अधिक खून आने की समस्या को नियंत्रित करता है।


आँखों से पानी बहना: बबूल के पत्तों का रस आँखों से पानी बहने की समस्या को समाप्त करता है।


गले के रोग: बबूल के पत्ते और छाल का मिश्रण गले के रोगों में राहत देता है।


अम्लपित्त: बबूल के पत्तों का काढ़ा अम्लपित्त के उपचार में मदद करता है।


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