समुद्र मंथन और दिवाली
हिंदू धर्म में हर त्योहार का एक विशेष धार्मिक और पौराणिक महत्व होता है। दिवाली, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, का समुद्र मंथन से गहरा संबंध है। पुराणों में वर्णित है कि प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, ताकि अमृत कलश प्राप्त कर अमरता का वरदान प्राप्त कर सकें। इस मंथन से कई दिव्य रत्न और अद्भुत वस्तुएं प्रकट हुईं। सबसे महत्वपूर्ण धन्वंतरि देव का प्रकट होना था, जिनके हाथ में अमृत कलश था। धन्वंतरि देव को आयुर्वेद और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है, इसलिए उनका प्रकट होना स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक बन गया।
दिवाली और धनतेरस का संबंध
इस पौराणिक घटना का सीधा संबंध धनतेरस से है, जो दिवाली से दो दिन पहले आता है और इसे धन त्रयोदशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि देव सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इस दिन सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदने की परंपरा शुरू हुई। यह केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि घर में मां लक्ष्मी की कृपा लाने, धन-वैभव बढ़ाने और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने का माध्यम माना जाता है।
धनतेरस पर शुभ कार्य और परंपराएं
धनतेरस के दिन कुछ विशेष उपाय और परंपराएं अपनाने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सोना, चांदी और धातु के बर्तन खरीदें: केवल सोना और चांदी ही नहीं, बल्कि तांबे, पीतल और स्टील के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। ये धातुएं शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं।
घर की साफ-सफाई: घर को अच्छे से साफ करना बहुत शुभ होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति और खुशहाली बनी रहती है।
दीपक जलाना: मुख्य द्वार, खिड़कियों और घर के महत्वपूर्ण स्थानों पर दीपक जलाने से उजाला और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। यह मां लक्ष्मी और धन की देवी को आमंत्रित करने का भी प्रतीक है।
कुबेर यंत्र स्थापित करना: घर में धन के देवता कुबेर का यंत्र रखने से आर्थिक स्थिरता और धन-वैभव बढ़ता है।
दान करना: जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करने से पुण्य मिलता है और मन में संतोष और करुणा का भाव बढ़ता है.
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