झुझुनूं (राजस्थान). मां….यानि एक शब्द में पूरी दुनिया। अपनी दुनिया को सदा अपने पास रखने के लिए दो बेटों ने ऐसी तरकीब लगाई कि अब पूरा गांव उनकी तारीफ कर रहा है। राजस्थान के झुझुनूं जिले के दो बेटों ने अपनी मां को उनकी मौत के बाद भी अपने पास रख लिया वह भी हमेशा के लिए…। मां से हर रोज मुलाकात करते हैं और दुख एवं परेशानी में मां के पास आ बैठते हैं। किस्सा रोचक है लेकिन सच है।
सुमित्रा देवी कैंसर से जंग लड़ रही थी…लेकिन कह गईं अलविदा
दरअसल झुझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी क्षेत्र के भोड़की गांव के गोदारा की ढाणी में रहने वाली 62 साल की सुमित्रा देवी की 28 जून को मौत हो गई थी। सुमित्रा देवी कैंसर से जंग लड़ रही थी, लेकिन अंतिम समय में तबियत ज्यादा खराब हो जाने के कारण वे हमेशा के लिए परिवार का साथ छोड़ गईं। उनके दोनो बेटों मनोज और अशोक ने मां का अंतिम संस्कार करने के बाद मां की अस्थियों को हरिद्वार में प्रवाहित करने की जगह अपने आंगन में उन पेड़ों के नजदीक डाल दिया जो पौधे कभी मां ने अपने हाथों से लगाए थे।
बेटों ने मां की अंतिम इच्छा को किया है पूरा
बता दें कि सुमित्रा देवी के पति जगदीश गोदार वन विभाग से रिटायर हैं। उनको बागवानी का शौक रहा। उनके इस शौक को सुमित्रा देवी ने अपना भी शौक बना लिया और अपने घर के आंगन में दर्जनों फलदार पौधे लगाए। इन्हें अपने हाथों से लगाया और हर रोज सेवा कर इनको बड़ा किया। मनोज और अशोक का कहना था कि इन पेड़ों को मां ने बच्चों की जैसे संवारा। उनका कहना था कि मेरी मौत के बाद इन पेड़ों में ही मेरी अस्थियों को रख देना। बेटों ने ऐसा ही किया। पहले तो समाज में यह कुछ अटपटा लगा लेकिन बाद में जब मां की अंतिम इच्छा के बारे में बताया गया तो बेटों ने ऐसा ही किया। अब हर रोज इन पेड़ों के आसपास से दिन शुरु होता है वह भी मां को याद करते हुए…
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