चाणक्य (कौटिल्य) एक प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक, शिक्षक, अर्थशास्त्री, लेखक और भारतीय राजा चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार थे। चाणक्य ने प्रसिद्ध राजनीतिक ग्रंथ – अर्थशास्त्र (अर्थशास्त्र) लिखा, जो मौर्य साम्राज्य में एक संगठित राज्य को कैसे चलाया जाए, इसकी नींव रखी है। यह पुस्तक सामूहिक नैतिकता की नींव रखती है, जो एक समाज को एक साथ रखती है।
चाणक्य के सूत्र राजनीतिक और शाही सीमा तक ही सीमित नहीं थे। चाणक्य ने एक पुरुष और महिला के वैवाहिक जीवन में चिंताओं को दूर करने के लिए कई सर्वोत्तम बातें बतायी हैं।
विवाह एक आदर्श सामाजिक-धार्मिक संबंध है। विवाह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। इस रिश्तो को सफल बनाने के लिये चाणक्य ने कई उपाय बताये हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक सफल विवाह वह है, जिसमें पति और पत्नी दोनों शारीरिक और मानसिक रूप से संतुष्टि प्राप्त करें और इसके लिये जरूरी है दोनों की उम्र में उचित अंतर। पति औऱ पत्नी की उम्र के बीच अधिक अंतर समस्या खड़ी कर सकता है। एक पुरूष जो शारीरिक रूप से सक्षम हो, वह अपनी पत्नी की शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है, लेकिन अगर पति की उम्र पत्नी से काफी ज्यादा होगी, तो वह ये नहीं कर पायेगा।
वृद्ध व्यक्ति शरीर से कमजोर होगा, इसलिये उसे किसी जवान महिला से शादी नहीं करनी चाहिये। अन्यथा पत्नी की इच्छआएं पूरी नहीं होंगी और वह दूसरे पुरूषों की तरफ आकर्षित हो सकती है। ये उस पति के लिये विष के समान होगा।
उम्र में कुछ समानता होगी, तो पति और पत्नी एक दूसरे की बातों को अच्छे से समझ पायेंगे। वे उनके नजरिये से चीजों पर ध्यान देंगे और इससे झगड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी।
चाणक्य के अनुसार पति या पत्नी दोनों को ही अपने जीवनसाथी का पूरा सम्मान करना चाहिये। आपका जीवनसाथी भले ही आपसे उम्र में बड़ा हो या छोटा, वह आपके द्वारा सम्मान का हकदार है।
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