उज्जैन, 14 अक्टूबर . कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि Tuesday को विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे भस्म आरती हुई. इस दौरान बाबा महाकाल के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा.
मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही पंडे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया. इसके बाद भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से जलाभिषेक किया गया. पूजन के दौरान प्रथम घंटाल बजाकर ‘हरि ओम’ का जल अर्पित किया गया. इस दौरान बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें रुद्राक्ष और मुंड माला के साथ नवीन मुकुट धारण कराया गया. आज के श्रृंगार की खासियत थी बाबा महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड के साथ भव्य श्रृंगार किया गया. कपूर आरती के बाद भस्म आरती का अनुष्ठान शुरू हुआ.
महानिर्वाणी (श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा) अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल के शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई. मान्यता है कि भस्म अर्पण के बाद बाबा महाकाल निराकार से साकार स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस दौरान मंदिर परिसर ‘बम-बम भोले’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा. भस्म आरती लगभग दो घंटे तक चली, जिसमें वैदिक मंत्रों का उच्चारण और भगवान का श्रृंगार समानांतर रूप से हुआ.
बता दें कि पवित्र भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडों, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार की जाती है.
उज्जैन के महाकाल मंदिर में भस्म आरती के अलावा दिन भर में छह अन्य आरतियां होती हैं, जिनमें बालभोग, भोग, पूजन, संध्या और शयन आरती शामिल हैं. भस्म आरती का विशेष महत्व है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है.
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एनएस/डीएससी
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