New Delhi, 6 नवंबर . चूना प्राचीन समय से चले आ रहे देसी नुस्खों का अहम हिस्सा है. पुराने समय में दादी-नानी कई बीमारियों में चूने का पानी या चूने का लेप इस्तेमाल करती थीं. आज भी गांवों में लोग इसे छोटे-मोटे रोगों के इलाज में अपनाते हैं. आइए जानते हैं चूने के कुछ परंपरागत घरेलू उपयोग.
सबसे पहले, अगर बच्चों को उल्टी, दस्त या खट्टी डकारें आ रही हों तो रातभर भीगे चूने के पानी को छानकर थोड़ा-सा पानी में मिलाकर पिलाने से राहत मिलती है. वहीं, सूजन या गुम चोट में चूना और हल्दी मिलाकर लगाने से सूजन उतर जाती है और दर्द कम होता है.
अगर आग से जलने पर घाव हो गया हो, तो चूने के पानी और नारियल तेल को मिलाकर फेंट लें. यह मिश्रण ठंडक देता है और घाव जल्दी भरता है. इसी तरह बवासीर, फोड़े-फुंसियां या दाद जैसी समस्याओं में भी चूने का लेप फायदेमंद बताया गया है.
हड्डियां कमजोर हों तो थोड़ी मात्रा में चूने का पानी नियमित पीने की सलाह दी जाती है, जिससे कैल्शियम की कमी पूरी होती है. पेट दर्द या अम्लपित्त (एसिडिटी) में भी चूने का पानी राहत देता है.
कान से मवाद बहने या नाक से खून आने (नकसीर) पर भी इसका पानी अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल होता है. कहा जाता है कि चूना और दूध मिलाकर कान में डालने या पीने से ऐसे लक्षणों में सुधार आता है.
गठिया और जोड़ों के दर्द में चूना, हल्दी और गुड़ का लेप बहुत असरदार माना गया है. वहीं, गिल्टी या ट्यूमर पर चूना और शहद का लेप बांधने से सूजन कम होती है. मस्से और तिल हटाने के लिए भी एक देसी तरीका है. पान के डंठल पर चूना लगाकर मस्से की जड़ में लगाने से कुछ ही दिनों में मस्सा सूखकर गिर जाता है. अगर सिरदर्द हो तो चूना और नौसादर को सूंघना या घी में चूना मिलाकर सिर पर लेप लगाने से आराम मिलता है.
पुराने वैद्य कहते हैं कि चूना सस्ता और असरदार है, लेकिन इसका इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि ज्यादा या गलत मात्रा नुकसान भी कर सकती है. इसलिए, अगर आप किसी रोग में चूना या चूने का पानी इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो पहले किसी अनुभवी वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
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पीआईएम/एबीएम
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