कोडरमा, 18 अक्टूबर . दीपावली को लेकर Jharkhand के कोडरमा जिले के सतगावां प्रखंड के भखरा स्थित पहलवान आश्रम में तैयार हो रहे गोबर के दीये और गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. आमतौर पर मिट्टी के दीये और इलेक्ट्रॉनिक दीपक बाजार में आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन गाय के गोबर से बने पर्यावरण अनुकूल दीये और अन्य उत्पाद कम ही लोग देख पाते हैं. यहां ग्रामीण महिलाएं गोबर क्राफ्ट के जरिए न केवल आत्मनिर्भरता की राह गढ़ रही हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और गौसंरक्षण के क्षेत्र में भी अनूठा योगदान दे रही हैं.
पहलवान आश्रम में दीपावली और छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए गोबर से 15 प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. इनमें दीये, गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां, द्वार झालर, शुभ-लाभ, स्वास्तिक चिन्ह, कप धूप, “शुभ दीपावली” और “जय छठी मैया” जैसे नेम प्लेट शामिल हैं.
गोबर और लकड़ी के बुरादे से बने ये उत्पाद धूप में सुखाए जाते हैं और आकर्षक रंगों से सजाए जाते हैं, जो देखने में बेहद मनमोहक लगते हैं. ये उत्पाद न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि उपयोग के बाद मिट्टी में मिलकर खाद का रूप ले लेते हैं, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता.
राष्ट्रीय Jharkhand सेवा संस्थान के कोषाध्यक्ष विजय कुमार, नीतू कुमारी और ईशान चंद महतो ने Gujarat के भुज से प्रशिक्षण प्राप्त कर गांव की महिलाओं को गोबर क्राफ्ट की तकनीक सिखाई. इस प्रशिक्षण ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
संस्थान के सचिव मनोज दांगी ने बताया कि धनतेरस से लेकर दीपावली तक की पूरी तैयारी की गई है. हाल ही में रांची में आईएएस ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मेले में इन उत्पादों को विशेष स्थान मिला. कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इनकी सराहना की और खरीदारी भी की.
मनोज दांगी ने बताया कि गोबर से बने ये उत्पाद रेडिएशन से बचाव में सहायक हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. साथ ही, दूध न देने वाली वृद्ध गायों के गोबर का उपयोग कर गौसंरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है.
सतगावां प्रखंड, जो कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, आज गोबर क्राफ्ट के जरिए महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और गौसंरक्षण का केंद्र बन चुका है.
यह पहल विकसित India के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो ग्रामीण महिलाओं के जीवन में उम्मीद की नई किरण ला रही है.
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एकेएस/डीएससी
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