Patna, 30 अक्टूबर . दक्षिणी बिहार का औरंगाबाद सिर्फ एक जिला मुख्यालय नहीं, बल्कि एक ऐसा क्षेत्र है, जो सदियों की ऐतिहासिक विरासत और आधुनिक Political द्वंद्व को अपने में समेटे हुए है. 2020 के विधानसभा चुनाव में महज 2,243 वोटों के मार्जिन ने साबित कर दिया कि यह सीट अब किसी एक दल का ‘पक्का गढ़’ नहीं रही है.
औरंगाबाद विधानसभा सीट को लंबे समय से राजपूत मतदाताओं का मजबूत आधार माना जाता रहा है. कुल मतदाताओं में 22 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाला यह समुदाय अक्सर राजपूत उम्मीदवारों का समर्थन करता रहा है.
1951 में सीट की स्थापना के बाद, शुरुआती चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने आठ बार जीत हासिल की, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चार बार जीत दर्ज कर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई.
2000 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की जीत ने इस Political समीकरण को तोड़ा. यह पहली बार था जब किसी गैर-राजपूत उम्मीदवार ने जीत हासिल की. हाल ही में, 2024 के Lok Sabha चुनाव में, राजद के अभय कुशवाहा इस सीट से जीतने वाले पहले गैर-राजपूत और पहले राजद सांसद बने, जो इस बात का संकेत है कि अब सिर्फ जाति नहीं, बल्कि दलगत गठबंधन और उम्मीदवार की छवि भी निर्णायक भूमिका निभा रही है.
2020 के विधानसभा चुनाव ने औरंगाबाद को एक हाई-प्रोफाइल और कांटे की टक्कर वाली सीट बना दिया. इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार आनंद शंकर सिंह ने भाजपा के चार बार के विधायक रामाधार सिंह को काफी कम अंतर से मात दी.
2015 में भी आनंद शंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2020 में जीत का अंतर बहुत कम होने से यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस की पकड़ मजबूत होने के बावजूद, भाजपा एक प्रबल दावेदार बनी हुई है.
औरंगाबाद की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे ग्रामीण विकास से जुड़े हैं, जिनमें सड़क, बिजली, पानी और सिंचाई शामिल हैं. इसके अलावा, ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा की खराब स्थिति, बेरोजगारी और पलायन, तथा कानून-व्यवस्था भी स्थानीय एजेंडे में शीर्ष पर रहते हैं.
दशकों से औरंगाबाद ने Naxalite गतिविधियों का दंश भी झेला है. हालांकि, बीते पांच वर्षों में बिहार में माओवादी घटनाओं में गिरावट आई है. राज्य Government ने 2025 के अंत तक इस उग्रवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है.
औरंगाबाद विधानसभा, औरंगाबाद Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जिसमें कुल छह विधानसभा सीटें हैं. इस विधानसभा क्षेत्र की जनसांख्यिकी भी काफी विविध है. यहां 21.64 प्रतिशत अनुसूचित जातियां और लगभग 19 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. 2020 के चुनाव में 3,17,947 पंजीकृत मतदाताओं में से 53.49 प्रतिशत ने मतदान किया था.
आज, इस क्षेत्र की पहचान इसकी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से है. अदरी नदी यहां से बहती है, जबकि सोन नदी इसकी पश्चिमी सीमा को छूती है. बार-बार सूखे की चुनौती के बावजूद, किसान यहां चावल, गेहूं, दालें और सरसों जैसी मुख्य फसलें उगाते हैं. पारंपरिक कलाओं, जैसे कालीन बुनाई और पीतल शिल्प काफी प्रसिद्ध हैं. नवीनगर सुपर थर्मल पावर प्लांट ने औद्योगिक विकास को नई गति दी है, जिसने रोजगार के नए द्वार खोले हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती की अप्रत्याशित सफलता ने भी किसानों को आय का एक नया स्रोत दिया है.
–
वीकेयू/एबीएम
You may also like
 - Sardar Patel Family: सरदार वल्लभ भाई पटेल के परिवार में अब कौन-कौन बचा है? जिनके साथ PM मोदी ने खिंचवाई फोटो
 - Creta Electric खरीदने का है प्लान तो जान लें फाइनैंस डिटेल, 2 लाख रुपये डाउन पेमेंट पर बनेगी इतनी EMI
 - पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहली नवंबर से होगी धान की खरीद
 - BAN vs WI 3rd T20I: बांग्लादेश ने टॉस जीतकर चुनी बल्लेबाज़ी, यहां देखें दोनों टीमों की प्लेइंग XI
 - इंटेलिजेंट सिस्टम्स व साइबर-फिजिकल टेक्नोलॉजी से आत्मनिर्भर व डिजिटल भारत की दिशा में कदम : प्रो मणीन्द्र अग्रवाल




