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कर्नाटक में जाति जनगणना पर मोइली की राय व्यक्तिगत, पार्टी की नहीं : राशिद अल्वी

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नई दिल्ली, 22 अप्रैल . कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने मंगलवार को समाचार एजेंसी से खास बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. इस दौरान उन्होंने कर्नाटक सरकार के जाति जनगणना से लेकर बंगाल की कानून व्यवस्था और वक्फ संशोधन कानून जैसे मामलों पर बात की.

कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली द्वारा कास्ट सेंसेक्स पर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए अल्वी ने कहा, “वीरप्पा मोइली कांग्रेस के बड़े और वरिष्ठ नेता हैं. अगर उन्हें कुछ कहना था तो कास्ट सेंसेक्स से पहले कहना चाहिए था. अब जबकि यह हो चुका है, तो समाज में हिस्सेदारी की स्थिति स्पष्ट होगी और सरकार उसके आधार पर व्यापक नीति बना सकेगी. उन्हें पहले कांग्रेस के नेतृत्व और आलाकमान से बात करनी चाहिए थी. यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है, पार्टी की नहीं.”

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज द्वारा ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की बैठक में ‘नेशनल हेराल्ड की लूट’ लिखा बैग लेकर जाने पर अल्वी ने कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, “बांसुरी स्वराज सुषमा स्वराज की बेटी हैं, उन्हें अपनी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए था. लेकिन आजकल भाजपा के नेताओं में मर्यादा कहां बची है?”

सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा आगरा में रेप पीड़िता दलित लड़की के मामले को ‘छोटी बात’ कहे जाने पर अल्वी ने कहा, “कोई भी रेप की घटना छोटी नहीं होती. यह दलित लड़की की जिंदगी को तबाह करने वाली घटना है. हां, यह बात अलग है कि अखिलेश यादव समय के अभाव में नहीं आ पाए, लेकिन इस तरह के बयान देना बेहद शर्मनाक है.”

दिल्ली में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन को जायज ठहराते हुए राशिद अल्वी ने कहा, “यह कानून मुस्लिमों के धर्म पर हमला है. जब तीन कृषि कानूनों का विरोध हुआ था और सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा, तो यह कानून भी जनता के दबाव में वापस लेना पड़ेगा. अगर मौजूदा सरकार नहीं मानेगी, तो जब हमारी सरकार आएगी, हम इस कानून को खत्म करेंगे.”

पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर उन्होंने कहा कि बंगाल की स्थिति वाकई चिंताजनक है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लगाना कोर्ट का नहीं, केंद्र सरकार और राज्यपाल का विषय है. अगर इस आधार पर राष्ट्रपति शासन लगता है, तो यूपी के संभल में हुई घटनाओं पर भी यही मांग उठ सकती है.

पीएसके/एएस

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