GST काउंसिल की 56वीं बैठक से आम जनता के लिए राहत की बड़ी खबर आई है। लंबे समय से हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर लगने वाला 18% जीएसटी अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। यानी 22 सितंबर 2025, जो नवरात्रि की शुरुआत का दिन है, से स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा। इस बदलाव से पॉलिसीधारकों के प्रीमियम की राशि पहले के मुकाबले कम हो जाएगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि बीमा प्रीमियम करीब 15% तक घट सकता है।
अब तक क्यों वसूला जा रहा था टैक्स और क्या होगा बदलाव?
अब तक जब भी कोई व्यक्ति हेल्थ या टर्म इंश्योरेंस लेता था, तो उसे वास्तविक प्रीमियम के साथ 18% जीएसटी भी चुकाना पड़ता था। मतलब, जितनी बड़ी पॉलिसी, उतना ज्यादा टैक्स बोझ। लेकिन अब यह अतिरिक्त भार पूरी तरह हटा दिया गया है। इसका सीधा मतलब है कि उपभोक्ता को बीमा खरीदते समय सिर्फ प्रीमियम ही देना होगा।
हालांकि, जहां ग्राहकों को यह बदलाव राहत देगा, वहीं बीमा कंपनियों को इससे झटका लग सकता है। HSBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स हटने से प्रीमियम कम होगा और मांग बढ़ सकती है, लेकिन कंपनियों की आमदनी पर लगभग 3% से 6% तक का असर देखने को मिलेगा।
सरकार को नुकसान, जनता को फायदा
बीमा पर टैक्स हटाने के इस फैसले से सरकार को सालाना लगभग 1.2 से 1.4 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान हो सकता है। बावजूद इसके, काउंसिल का मानना है कि यह कदम बीमा को आम लोगों के लिए और आकर्षक बनाएगा। विशेषज्ञों की राय है कि लंबे समय में इससे बीमा क्षेत्र मजबूत होगा और देश में बीमा कवरेज का दायरा भी बढ़ेगा। हालांकि, ग्राहकों तक वास्तविक फायदा कितना पहुंचेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बीमा कंपनियां अपनी प्राइसिंग स्ट्रैटेजी कैसे तय करती हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का इस्तेमाल किस तरह से करती हैं।
टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव, लग्जरी सामानों पर बढ़ा बोझ
इंश्योरेंस पर टैक्स हटाने के साथ-साथ जीएसटी काउंसिल ने टैक्स संरचना में भी अहम बदलाव किया है। अब देश में केवल दो प्रमुख टैक्स स्लैब होंगे – 5% और 18%। इसके साथ कई बड़े सुधार किए गए हैं:
12% और 28% वाले टैक्स स्लैब पूरी तरह हटा दिए गए।
रोज़मर्रा की ज़रूरतों से जुड़ी चीजें जैसे दवाइयां, ग्रॉसरी, सीमेंट और छोटी कारें अब कम टैक्स दर में आकर सस्ती होंगी।
वहीं, तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक्स और महंगी गाड़ियों जैसे लग्जरी व सिन गुड्स पर सीधे 40% टैक्स लगाया जाएगा।
इस तरह सरकार ने बीमा क्षेत्र से मिलने वाले टैक्स में कटौती को लग्जरी और नुकसानदायक वस्तुओं से होने वाली कमाई से संतुलित करने की कोशिश की है।
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