अक्सर देखा गया है कि लोग सार्वजनिक जगहों, मीटिंग्स या धार्मिक स्थलों पर छींक आने पर इज्जत बचाने के चक्कर में उसे जबरदस्ती रोक लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक मामूली लगने वाला यह कदम आपकी सेहत पर गंभीर और कभी-कभी जानलेवा असर भी डाल सकता है?
विशेषज्ञों की मानें तो छींक को दबाने से दिमाग की नस फटने (ब्रेन हैमरेज), चेहरे पर लकवा (फेशियल पैरालिसिस), सुनने की क्षमता में कमी, और यहां तक कि गले की गंभीर चोटों तक का खतरा हो सकता है।
छींक क्यों आती है?
छींक आना शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। यह नाक में मौजूद धूल, बैक्टीरिया, एलर्जी या अन्य अवांछित तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
जब आप छींक को रोकते हैं, तो न केवल ये तत्व शरीर में रह जाते हैं, बल्कि भीतर की ओर दबाव बनता है, जो नाजुक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
छींक को रोकने से क्या हो सकते हैं खतरे?
1. ब्रेन हैमरेज का खतरा
छींकते समय आपके शरीर में अचानक एक तेज दबाव उत्पन्न होता है।
अगर छींक को दबाया जाए, तो ये दबाव मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं (blood vessels) पर पड़ सकता है।
कई रिपोर्टों के अनुसार, कुछ दुर्लभ मामलों में इस दबाव के कारण दिमाग की नसें फट जाती हैं, जिससे ब्रेन हैमरेज हो सकता है।
2. फेशियल पैरालिसिस (चेहरे पर लकवा)
जब छींक को नाक और मुंह बंद कर रोका जाता है, तो यह दबाव चेहरे की नसों पर भी असर डाल सकता है।
इससे मांसपेशियां अस्थायी या स्थायी रूप से काम करना बंद कर सकती हैं।
चेहरे का एक हिस्सा झुक सकता है, जिसे Bell’s Palsy भी कहा जाता है।
3. कानों में परमानेंट नुकसान
छींक का दबाव नाक और कान को जोड़ने वाली यूस्टेशियन ट्यूब तक जाता है।
जब आप छींक को रोकते हैं, तो यह दबाव कान की झिल्ली को क्षतिग्रस्त कर सकता है।
इससे कानों में दर्द, बहरेपन या स्थायी क्षति भी हो सकती है।
4. गले और छाती की मांसपेशियों पर असर
कई मामलों में जबरदस्ती छींक रोकने से गले की मांसपेशियों में खिंचाव, यहां तक कि टिशू फटने तक की शिकायतें देखी गई हैं।
कुछ मामलों में गले की नसें फटने से आपातकालीन सर्जरी तक की नौबत आई है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
प्रसिद्ध ईएनटी सर्जन बताती हैं:
“छींक एक प्राकृतिक रिफ्लेक्स है। इसे रोकना ठीक वैसा ही है जैसे खांसी या हिचकी को जबरदस्ती रोकना। इससे शरीर के अंदर अत्यधिक दबाव बन सकता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है।”
छींक आने पर क्या करें?
छींक को दबाने के बजाय रुमाल या कोहनी से मुंह ढककर छींकें।
अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पर हैं, तो शिष्टाचार के साथ मुंह ढकें, लेकिन उसे रोकने की कोशिश न करें।
बार-बार छींक आने पर एलर्जी या अन्य चिकित्सा कारण हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से परामर्श लें।
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