नई दिल्ली: सितंबर 2018 में चीन पर 10% टैरिफ लगाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन कई बरसों से अमेरिका का फायदा उठा रहा है और उन्हें पता है कि उसे कैसे रोकना है। वह ट्रंप का पहला कार्यकाल था और उस पूरे रेजीम में चीन को लेकर उनका रवैया ऐसा ही सख्त रहा। लेकिन, दूसरे कार्यकाल के 10 महीने के भीतर ही उनका रुख बिल्कुल उल्टा हो चला है। अब वह चीन को खतरे के रूप में नहीं, उसकी दोस्ती को स्थायी शांति और सफलता के लिए जरूरी मान रहे हैं।   
   
US- चीन समझौता । डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की और इसके बाद कई अहम घोषणाएं हुईं। रेयर अर्थ मिनरल्स, ट्रेड टैरिफ और अमेरिकी कृषि उत्पाद पर जो गतिरोध था, वह सुलझता दिख रहा है। दुनिया के लिए चौंकाने वाली बात यह नहीं कि दोनों महाशक्तियों के बीच सुलह हो गई, बल्कि यह है कि दोनों एक ऐसे गठजोड़ की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं, जिसको लेकर अभी तक की कोशिशें असफल रही हैं।
   
चीन प्लस वन । यह पार्टनरशिप इस सदी के सबसे बड़े भू-राजनीतिक बदलाव की वजह बन सकती है और इसका असर जिन देशों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, उनमें भारत भी है। अभी तक माना जा रहा था कि चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए अमेरिका उसके बरक्स भारत को खड़ा कर रहा है। कोरोना के दौर में चीन प्लस वन पॉलिसी चली, तो चर्चा में भारत ही रहा और इसका उसे फायदा भी मिला। अब जब वॉशिंगटन और पेइचिंग करीब आ रहे हैं, तो यह पॉलिसी भी शायद ज्यादा न चल पाए।
     
रेयर अर्थ । अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर लड़ रहे चीन ने रेयर अर्थ की सप्लाई को हथियार की तरह इस्तेमाल किया था, जिसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ा। पिछले ही महीने जब चीन ने निर्यात से जुड़े नए नियम लागू किए तो अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने इसे सभी की लड़ाई बताते हुए भारत से मदद मांगी। लेकिन, अब ऐसा लगता है कि यह लड़ाई अमेरिका को छोड़कर भारत और बाकी दुनिया की है।
   
नई नीति । नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच अभी तक व्यापार समझौता नहीं हुआ है। रूस के साथ तेल खरीद भी भारतीय कंपनियों ने कम कर दी है। दूसरी ओर, चीन को ट्रंप छूट दे रहे हैं और टैरिफ भी कम कर दिया है। ये संकेत हैं कि इन दोनों देशों को लेकर भारत को अपनी विदेश नीति पर नए सिरे से विचार करना होगा। और बात केवल व्यापार की नहीं है, Quad जैसे गठजोड़ का भविष्य भी अधर में है।
     
  
US- चीन समझौता । डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की और इसके बाद कई अहम घोषणाएं हुईं। रेयर अर्थ मिनरल्स, ट्रेड टैरिफ और अमेरिकी कृषि उत्पाद पर जो गतिरोध था, वह सुलझता दिख रहा है। दुनिया के लिए चौंकाने वाली बात यह नहीं कि दोनों महाशक्तियों के बीच सुलह हो गई, बल्कि यह है कि दोनों एक ऐसे गठजोड़ की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं, जिसको लेकर अभी तक की कोशिशें असफल रही हैं।
चीन प्लस वन । यह पार्टनरशिप इस सदी के सबसे बड़े भू-राजनीतिक बदलाव की वजह बन सकती है और इसका असर जिन देशों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, उनमें भारत भी है। अभी तक माना जा रहा था कि चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए अमेरिका उसके बरक्स भारत को खड़ा कर रहा है। कोरोना के दौर में चीन प्लस वन पॉलिसी चली, तो चर्चा में भारत ही रहा और इसका उसे फायदा भी मिला। अब जब वॉशिंगटन और पेइचिंग करीब आ रहे हैं, तो यह पॉलिसी भी शायद ज्यादा न चल पाए।
रेयर अर्थ । अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर लड़ रहे चीन ने रेयर अर्थ की सप्लाई को हथियार की तरह इस्तेमाल किया था, जिसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ा। पिछले ही महीने जब चीन ने निर्यात से जुड़े नए नियम लागू किए तो अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने इसे सभी की लड़ाई बताते हुए भारत से मदद मांगी। लेकिन, अब ऐसा लगता है कि यह लड़ाई अमेरिका को छोड़कर भारत और बाकी दुनिया की है।
नई नीति । नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच अभी तक व्यापार समझौता नहीं हुआ है। रूस के साथ तेल खरीद भी भारतीय कंपनियों ने कम कर दी है। दूसरी ओर, चीन को ट्रंप छूट दे रहे हैं और टैरिफ भी कम कर दिया है। ये संकेत हैं कि इन दोनों देशों को लेकर भारत को अपनी विदेश नीति पर नए सिरे से विचार करना होगा। और बात केवल व्यापार की नहीं है, Quad जैसे गठजोड़ का भविष्य भी अधर में है।
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