नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 752 वोट वैध और 15 वोट अवैध पाए गए। संख्या बल के लिहाज से एनडीए की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन विपक्ष इस चुनाव को अपनी एकजुटता और मजबूती दिखाने का मंच मानकर उतरा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने परिणाम को विपक्ष के लिए सम्मानजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष उपराष्ट्रपति चुनाव में एकजुट होकर खड़ा रहा। उसके साझा उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने 40 फीसदी वोट हासिल किए। 2022 में विपक्ष को केवल 26% वोट मिले थे। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की अंकगणितीय जीत दरअसल एक नैतिक और राजनीतिक हार है। वैचारिक लड़ाई जारी रहेगी।
यह चुनाव इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि जुलाई 2025 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। साल 2022 में हुए चुनाव में जगदीप धनखड़ ने 725 वैध वोट में से 528 वोट पाकर धाकड़ जीत दर्ज की थी। वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे। 1997 के चुनाव से लेकर साल 2022 तक उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए छह चुनावों में यह उनकी सबसे बड़ी जीत थी।
क्रॉस वोटिंग का इतिहासक्रॉस वोटिंग का इतिहास भी विपक्ष के लिए चिंता का कारण रहा है। 2017 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भी कई राज्यों में विपक्षी खेमे से क्रॉस वोटिंग हुई थी। इसी तरह, राष्ट्रपति चुनाव (2022) में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 17 सांसदों और 126 विधायकों का अतिरिक्त समर्थन मिला था। असम में 22 और मध्य प्रदेश में 19 विधायकों ने क्रॉस वोट किया था। इन उदाहरणों से सबक लेकर इस बार विपक्ष ने और अनुशासन पर जोर दिया। नतीजे से यह साफ है कि संख्या बल में एनडीए अब भी मजबूत है और उसने सत्ता की पकड़ को फिर से साबित किया। लेकिन विपक्ष के लिए यह चुनाव सिर्फ हार-जीत का नहीं, बल्कि संदेश और तैयारी का सवाल था। 26% से 40% तक वोट शेयर बढ़ाना, सभी सांसदों को जुटाना और एकजुटता दिखाना विपक्ष की रणनीति का हिस्सा रहा।
विपक्ष ने पूरी तैयारी कीविपक्ष ने इस बार चुनाव से पहले मॉक पोल का भी आयोजन किया था जिसमें बताया गया था कि किस तरह वोट करना है ताकि उनका वोट इनवेलिड न हो। हालांकि जयराम रमेश ने मतदान के बाद दावा किया था कि विपक्ष के सभी 315 सांसद एकजुट होकर वोटिंग में शामिल हुए। लेकिन अंतिम नतीजों में विपक्षी उम्मीदवार को 300 वोट ही मिले, जबकि चुनाव में कुल 15 वोट अवैध करार दिए गए। यही बात अब राजनीतिक चर्चा का विषय है कि ये अवैध वोट किस खेमे से आए।
विचारधारा की लड़ाईकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को बधाई दी लेकिन साथ ही विपक्षी उम्मीदवार की लड़ाई को वैचारिक करार दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हम सी.पी. राधाकृष्णन को जीत की बधाई देते हैं। साथ ही हम बी. सुदर्शन रेड्डी के जज़्बे और सैद्धांतिक संघर्ष के लिए आभारी हैं। यह चुनाव सिर्फ पद के लिए नहीं था, बल्कि विचारधारा की लड़ाई थी।
यह चुनाव इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि जुलाई 2025 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। साल 2022 में हुए चुनाव में जगदीप धनखड़ ने 725 वैध वोट में से 528 वोट पाकर धाकड़ जीत दर्ज की थी। वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे। 1997 के चुनाव से लेकर साल 2022 तक उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए छह चुनावों में यह उनकी सबसे बड़ी जीत थी।
क्रॉस वोटिंग का इतिहासक्रॉस वोटिंग का इतिहास भी विपक्ष के लिए चिंता का कारण रहा है। 2017 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भी कई राज्यों में विपक्षी खेमे से क्रॉस वोटिंग हुई थी। इसी तरह, राष्ट्रपति चुनाव (2022) में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 17 सांसदों और 126 विधायकों का अतिरिक्त समर्थन मिला था। असम में 22 और मध्य प्रदेश में 19 विधायकों ने क्रॉस वोट किया था। इन उदाहरणों से सबक लेकर इस बार विपक्ष ने और अनुशासन पर जोर दिया। नतीजे से यह साफ है कि संख्या बल में एनडीए अब भी मजबूत है और उसने सत्ता की पकड़ को फिर से साबित किया। लेकिन विपक्ष के लिए यह चुनाव सिर्फ हार-जीत का नहीं, बल्कि संदेश और तैयारी का सवाल था। 26% से 40% तक वोट शेयर बढ़ाना, सभी सांसदों को जुटाना और एकजुटता दिखाना विपक्ष की रणनीति का हिस्सा रहा।
विपक्ष ने पूरी तैयारी कीविपक्ष ने इस बार चुनाव से पहले मॉक पोल का भी आयोजन किया था जिसमें बताया गया था कि किस तरह वोट करना है ताकि उनका वोट इनवेलिड न हो। हालांकि जयराम रमेश ने मतदान के बाद दावा किया था कि विपक्ष के सभी 315 सांसद एकजुट होकर वोटिंग में शामिल हुए। लेकिन अंतिम नतीजों में विपक्षी उम्मीदवार को 300 वोट ही मिले, जबकि चुनाव में कुल 15 वोट अवैध करार दिए गए। यही बात अब राजनीतिक चर्चा का विषय है कि ये अवैध वोट किस खेमे से आए।
विचारधारा की लड़ाईकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को बधाई दी लेकिन साथ ही विपक्षी उम्मीदवार की लड़ाई को वैचारिक करार दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हम सी.पी. राधाकृष्णन को जीत की बधाई देते हैं। साथ ही हम बी. सुदर्शन रेड्डी के जज़्बे और सैद्धांतिक संघर्ष के लिए आभारी हैं। यह चुनाव सिर्फ पद के लिए नहीं था, बल्कि विचारधारा की लड़ाई थी।
You may also like
ENG vs SA 1st T20: कार्डिफ में भिड़ेगी इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका, जान लीजिए कैसा रहा है सोफिया गार्डन्स की पिच का मिजाज़
उल्हास कामत और I Create India की प्रेरक कहानी, कैसे उद्यमिता से बदली हजारों ज़िंदगियाँ
iPhone 17 Price Comparison: जानें दुनिया के अलग-अलग देशों में कीमतें
एमजीसीयू में अनुशासन समिति व जिला प्रशासन की हुई समन्वय बैठक
हिमाचल काे 1500 करोड़ की राहत के लिए हमीरपुर भाजपा ने जताया प्रधानमंत्री का आभार