पटना: इंसानी रिश्ते में मां की ममता अनमोल है। मां जैसा कोई नहीं हो सकता। पिता या भाई का मन बदल सकता है, लेकिन मां का नहीं। वह हर हाल में अपने पुत्र का भला चाहती है। पूर्व मुख्यमंत्री देवी के नेता वाले ‘मन’ पर मां का ‘मन’ भारी पड़ गया।   राबड़ी देवी राजनीतिक मजबूरियों के कारण पुत्र तेज प्रताप का चुनाव प्रचार तो नहीं कर रहीं, लेकिन वे दिल से चाहती हैं कि तेज प्रताप चुनाव जीत कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाएं। उनको (तेज प्रताप) घर और पार्टी से ‘लोग’ निकाल दिये हैं। अब वे अपनी राजनीतिक पहचान के लिए खुद मेहनत कर रहे हैं। अच्छी बात है। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई तेज प्रताप को चुनाव में हराने के लिए आमने सामने आ गये हैं। तेजस्वी ने महुआ में राजद के लिए चुनावी सभा कर के तेजप्रताप यादव को खुली चुनौती दी है। एक मां और एक भाई में शायद यही फर्क है।   
   
   
पार्टी लाइन से अलग सोचती हैं राबड़ी देवी
तेज प्रताप यादव भले राबड़ी देवी के घर से और पार्टी से निष्कासित हैं, लेकिन वे अभी भी वे अपनी मां के दिल में बसे हुए हैं। तभी तो राबड़ी देवी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर तेज प्रताप की जीत की दुआ कर रही हैं। तेज प्रताप यादव महाभारत के प्रसंग का जिक्र इस लड़ाई को धर्मयुद्ध बता रहे हैं। वे गीता का उदाहरण दे कर कहते हैं, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए यदि अपनों के खिलाफ भी शस्त्र उठाना पड़े तो यह नीतिसम्मत है। धर्मरक्षा की लड़ाई में कोई अपना और सगा नहीं होता। रिश्ते-नाते सब गौण हे जाते हैं।
   
तेजस्वी के पास माता-पिता, लेकिन मेरे साथ जनता: तेज प्रताप
तेज प्रताप महुआ की लड़ाई को धर्मयुद्ध बता रहे हैं। वे कहते हैं, साजिश रच कर मुझे घर और पार्टी से निकाला गया है। मैं भी पांडवों की तरह अपने अधिकार के लिए लड़ रहा हूं। जनता को मैं अपने साथ हुए अन्याय के बारे में बता रहा हूं। महुआ में तेजस्वी आएं या कोई और, जनता-जनार्दन का आशीर्वाद मुझे ही मिलेगा। तेजस्वी को मैं बड़ा नेता नहीं मानता। वे माता-पिता के नाम और काम पर राजनीति कर रहे हैं। अगर वे बड़े नेता हैं तो लालू जी और राबड़ी जी से अलग होकर अपने दम पर बिहार चुनाव लड़ कर दिखाएं ? मेरे पास, मेरे साथ, माता-पिता नहीं हैं लेकिन मेरे साथ जनता है। मैं अपने बल पर चुनाव लड़ रहा हूं।
   
अब खुल्लम खुल्ला लड़ाई
तेज प्रताप अब तेजस्वी को ईंट का जवाब पत्थर से देने लगे हैं। तेजस्वी ने महुआ में अपने बड़े भाई पर तंज कसते हुए कहा था, पार्टी सबसे बड़ी होती है। पार्टी से ऊपर कोई भी नहीं। अब इस तंज के जवाब में तेज प्रताप ने कहा है, लोकतंत्र में जनता मालिक होती है। जनता किसी भी पार्टी से बड़ी होती है। अब खुल्लम खुल्ला लड़ाई शुरू हो गयी है। अब वादे के मुताबिक तेज प्रताप भी तेजस्वी के खिलाफ माहौल बनाने राघोपुर जाएंगे। यानी दोनों भाई एक दूसरे को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए कमर कस चुके हैं।
   
क्या सोचती है महुआ की जनता ?
तेज प्रताप के महुआ से चुनाव लड़ने के कारण राजद के समर्थक पशोपेश में पड़ गये हैं। तेज प्रताप, लालू-राबड़ी के बड़े पुत्र हैं। इस कारण राजद समर्थकों की उनके प्रति एक स्वभाविक सहानुभूति है। वे भी समझ रहे हैं कि तेज प्रताप किन परिस्थितियों के कारण अगल दल से चुनाव लड़ रहे हैं। जनमानस में तेज प्रताप के प्रति एक सहानुभूति है। इस बात को वे मन में दबाये हुए हैं। पार्टी (राजद) अनुशासन के कारण अभी कुछ बोलना नहीं चाहते। उनके सामने दुविधा की स्थिति है। अभी की स्थिति में राजद का वोट बंटता हुआ दिख रहा है। आखिरी वक्त में सीन बदल भी सकता है।
  
पार्टी लाइन से अलग सोचती हैं राबड़ी देवी
तेज प्रताप यादव भले राबड़ी देवी के घर से और पार्टी से निष्कासित हैं, लेकिन वे अभी भी वे अपनी मां के दिल में बसे हुए हैं। तभी तो राबड़ी देवी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर तेज प्रताप की जीत की दुआ कर रही हैं। तेज प्रताप यादव महाभारत के प्रसंग का जिक्र इस लड़ाई को धर्मयुद्ध बता रहे हैं। वे गीता का उदाहरण दे कर कहते हैं, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए यदि अपनों के खिलाफ भी शस्त्र उठाना पड़े तो यह नीतिसम्मत है। धर्मरक्षा की लड़ाई में कोई अपना और सगा नहीं होता। रिश्ते-नाते सब गौण हे जाते हैं।
तेजस्वी के पास माता-पिता, लेकिन मेरे साथ जनता: तेज प्रताप
तेज प्रताप महुआ की लड़ाई को धर्मयुद्ध बता रहे हैं। वे कहते हैं, साजिश रच कर मुझे घर और पार्टी से निकाला गया है। मैं भी पांडवों की तरह अपने अधिकार के लिए लड़ रहा हूं। जनता को मैं अपने साथ हुए अन्याय के बारे में बता रहा हूं। महुआ में तेजस्वी आएं या कोई और, जनता-जनार्दन का आशीर्वाद मुझे ही मिलेगा। तेजस्वी को मैं बड़ा नेता नहीं मानता। वे माता-पिता के नाम और काम पर राजनीति कर रहे हैं। अगर वे बड़े नेता हैं तो लालू जी और राबड़ी जी से अलग होकर अपने दम पर बिहार चुनाव लड़ कर दिखाएं ? मेरे पास, मेरे साथ, माता-पिता नहीं हैं लेकिन मेरे साथ जनता है। मैं अपने बल पर चुनाव लड़ रहा हूं।
अब खुल्लम खुल्ला लड़ाई
तेज प्रताप अब तेजस्वी को ईंट का जवाब पत्थर से देने लगे हैं। तेजस्वी ने महुआ में अपने बड़े भाई पर तंज कसते हुए कहा था, पार्टी सबसे बड़ी होती है। पार्टी से ऊपर कोई भी नहीं। अब इस तंज के जवाब में तेज प्रताप ने कहा है, लोकतंत्र में जनता मालिक होती है। जनता किसी भी पार्टी से बड़ी होती है। अब खुल्लम खुल्ला लड़ाई शुरू हो गयी है। अब वादे के मुताबिक तेज प्रताप भी तेजस्वी के खिलाफ माहौल बनाने राघोपुर जाएंगे। यानी दोनों भाई एक दूसरे को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए कमर कस चुके हैं।
क्या सोचती है महुआ की जनता ?
तेज प्रताप के महुआ से चुनाव लड़ने के कारण राजद के समर्थक पशोपेश में पड़ गये हैं। तेज प्रताप, लालू-राबड़ी के बड़े पुत्र हैं। इस कारण राजद समर्थकों की उनके प्रति एक स्वभाविक सहानुभूति है। वे भी समझ रहे हैं कि तेज प्रताप किन परिस्थितियों के कारण अगल दल से चुनाव लड़ रहे हैं। जनमानस में तेज प्रताप के प्रति एक सहानुभूति है। इस बात को वे मन में दबाये हुए हैं। पार्टी (राजद) अनुशासन के कारण अभी कुछ बोलना नहीं चाहते। उनके सामने दुविधा की स्थिति है। अभी की स्थिति में राजद का वोट बंटता हुआ दिख रहा है। आखिरी वक्त में सीन बदल भी सकता है।
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