नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (जेडीयू) की उम्मीदवार श्वेता सुमन की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मोहनिया सुरक्षित विधानसभा सीट के वास्ते दाखिल अपना नामांकन पत्र खारिज किये जाने को चुनौती दी थी। सुमन के नामांकन को ‘फर्जी’ जाति प्रमाणपत्र के आधार पर खारिज किया गया था। सीजेआई बी आर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद अदालतें इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।
22 अक्टूबर को हाई कोर्ट का खटखटाया था दरवाजासीजेआई ने कहा कि चुनाव याचिका दायर करें। राजद नेता के वकील ने याचिका वापस लेने की बात कही। चुनाव याचिका दायर करने का जिक्र किया। कानून में उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करने की छूट के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है। इससे पहले तीन नवंबर को पटना हाई कोर्ट ने कैमूर जिले के मोहनिया सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से उनके नामांकन पत्र की अस्वीकृति के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी। सुमन ने निर्वाचन अधिकारी के 22 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनका नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उनके द्वारा पेश जाति प्रमाणपत्र वास्तविक नहीं हो सकता है जो कि सर्किल अधिकारी दुर्गावती की एक रिपोर्ट पर आधारित था।
अदालत ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकतीजस्टिस ए अभिषेक रेड्डी की सिंगल बेंच ने अनुच्छेद 329(बी) के तहत संवैधानिक प्रतिबंध और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत प्रदत्त वैधानिक उपायों का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अदालत ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद चुनाव याचिकाओं के अलावा किसी भी रिट याचिका या मामले पर विचार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने साथ ही कहा कि इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप जारी चुनाव प्रक्रिया को सीधे प्रभावित करेगा और उसमें देर करेगा। मोहनिया निर्वाचन क्षेत्र में 11 नवंबर को मतदान होगा। पहले चरण का मतदान गुरुवार को हुआ था।
22 अक्टूबर को हाई कोर्ट का खटखटाया था दरवाजासीजेआई ने कहा कि चुनाव याचिका दायर करें। राजद नेता के वकील ने याचिका वापस लेने की बात कही। चुनाव याचिका दायर करने का जिक्र किया। कानून में उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करने की छूट के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है। इससे पहले तीन नवंबर को पटना हाई कोर्ट ने कैमूर जिले के मोहनिया सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से उनके नामांकन पत्र की अस्वीकृति के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी। सुमन ने निर्वाचन अधिकारी के 22 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनका नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उनके द्वारा पेश जाति प्रमाणपत्र वास्तविक नहीं हो सकता है जो कि सर्किल अधिकारी दुर्गावती की एक रिपोर्ट पर आधारित था।
अदालत ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकतीजस्टिस ए अभिषेक रेड्डी की सिंगल बेंच ने अनुच्छेद 329(बी) के तहत संवैधानिक प्रतिबंध और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत प्रदत्त वैधानिक उपायों का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अदालत ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद चुनाव याचिकाओं के अलावा किसी भी रिट याचिका या मामले पर विचार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने साथ ही कहा कि इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप जारी चुनाव प्रक्रिया को सीधे प्रभावित करेगा और उसमें देर करेगा। मोहनिया निर्वाचन क्षेत्र में 11 नवंबर को मतदान होगा। पहले चरण का मतदान गुरुवार को हुआ था।
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