आप भी ऐसे कई युवा को जानते होंगे जो बुरी आदतों के आदी बनते जा रहे हैं। आज के समय में वेपिंग का भी काफी ज्यादा चलन बढ़ता जा रहा है। खासकर, अमेरिका में युवा ई-सिगरेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। सीडीसी की रिपोर्ट मुताबिक ( ref), संयुक्त राज्य अमेरिका में युवाओं के बीच ई-सिगरेट या वेप्स सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तंबाकू उत्पाद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में, यूएसए में मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों के बीच ई-सिगरेट सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तंबाकू उत्पाद था। इस बीच अमेरिका के जाने माने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट सौरभ सेठी ने वेपिंग से गट को होने वाले तीन सबसे बड़े नुकसानों को लोगों के साथ शेयर किया है। जिसके बारे में जानना सबके लिए जरूरी है। आइए जानते हैं इन साइड इफेक्ट्स के बारे में।
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वेपिंग के नुकसान क्या हैं?
डॉक्टर सौरभ सेठी अक्सर हेल्थ के प्रति लोगों को जागरूक करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर वेपिंग से पाचन तंत्र (गट) को होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी दी है, जो इस प्रकार हैं-
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गट माइक्रोबायोम को बिगाड़ता है

डॉक्टर सेठी ने बताया, वेपिंग में मौजूद केमिकल्स आपके गट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगाड़ सकते हैं, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं और क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन (पुरानी सूजन) हो सकती है। शोध में पाया गया है कि ई-सिगरेट का धुआं लाभदायक गट बैक्टीरिया को कम कर सकता है।
वेपिंग गट में पैदा कर सकता है सूजन
इसके अलावा यह गट में सूजन की भी वजह बन सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, वेप लिक्विड में मौजूद रसायन आंतों की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि वेपिंग गट की पारगम्यता (permeability) और सूजन को बढ़ा सकता है, जिससे क्रोहन डिजीज (Crohn’s Disease) जैसी बीमारियां और भी खराब हो सकती हैं।
गट बैरियर को करता है कमजोर
वेपिंग से गट को होने वाला तीसरा नुकसान ये है कि यह गट बैरियर को कमजोर बनाने का काम करता है। वेपिंग से गट की पारगम्यता बढ़ सकती है, जिससे जहरीले पदार्थ आंतों की दीवार को पार कर आपके रक्त में पहुंच सकते हैं। इससे सूजन और ऑटोइम्यून रोगों (Autoimmune Problems) का खतरा बढ़ जाता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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