मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के पवई इलाके में ऑडिशन के लिए 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की दहशत आखिरकार खत्म हो गई है। पुलिस ने जानकारी दी कि पुलिस फायरिंग में गंभीर रूप से घायल हुए आरोपी रोहित आर्या की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस हाई-वोल्टेज नाटकीय घटना ने पूरी मुंबई को हिलाकर रख दिया था। ऐसे में बड़ा सवाल है कि रोहित आर्य कौन था? उसने इतने सारे बच्चों को बंधक क्यों बनाया? उसकी असली नाराजगी क्या थी? आइए जानते हैं इन सवालों का सिलसिलेवार जवाब-
कौन था रोहित आर्य?
बच्चों को बंधक बनाने के आरोपी की पहचान 50 वर्षीय रोहित आर्य के रूप में हुई। जो कि पुणे का रहने वाला था। बताया गया कि जब शिवसेना नेता दीपक केसरकर शिक्षा मंत्री थे, तब उसे एक स्कूल प्रोजेक्ट का टेंडर मिला था। लेकिन रोहित आर्य का आरोप था कि उसे उस प्रोजेक्ट के पैसे नहीं मिले। शुरुआती जानकारी अब सामने आ रही है कि जब दीपक केसरकर मंत्री थे, तब उन्होंने अक्सर उनके आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।
कैसे हुई रोहित आर्य की मौत?
एक अधिकारी ने बताया कि रोहित आर्य पर पुलिस ने उस समय गोली चलाई जब वह ‘एयर गन’ से बच्चों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने बताया कि बाद में अस्पताल में आर्य की मौत हो गई। डीसीपीदत्ता नलावडे ने बताया कि गुरुवार दोपहर करीब डेढ़ बजे पवई पुलिस थाने को सूचना मिली कि महावीर क्लासिक बिल्डिंग के आरए स्टूडियो (Ra Studio) में एक व्यक्ति ने 17 बच्चों को बंधक बना लिया है। उन्होंने बताया कि पवई पुलिस के अधिकारी त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी), बम निरोधक दस्ते और दमकल विभाग की एक टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस के आने से पहले वायरल हुआ वीडियो
पुलिस के स्टूडियो में घुसने से पहले रोहित आर्य ने एक वीडियो जारी किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आर्य ने कहा कि मैं रोहित आर्य हूं। आत्महत्या करने के बजाय मैंने एक योजना बनाई और कुछ बच्चों को बंधक बना लिया... मेरी बहुत ही साधारण मांगें हैं। बहुत ही नैतिक मांगें। उसने कहा कि मेरे कुछ सवाल हैं। मैं कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं और उनके जवाबों के आधार पर, अगर कोई प्रति-प्रश्न हों, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं। लेकिन मुझे ये जवाब चाहिए। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं, न ही मेरी पैसों की कोई मांग है। मैं साधारण बातचीत करना चाहता हूं।
पुलिस को दी धमकी
आर्य ने कहा कि तुम्हारी तरफ से जरा सी भी गलती मुझे इस पूरी जगह को आग लगाने के लिए मजबूर कर सकती है... मैं मरूं या न मरूं, बच्चों को बेवजह चोट पहुंचेगी... मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। आर्य ने कहा कि बातचीत के बाद, वह कमरे से बाहर आ जाएगा। आर्य ने कहा कि बहुत से लोगों को ये समस्याएं होती हैं और वह बातचीत के जरिए समाधान सुझाएगा, हालांकि उसने यह नहीं बताया कि वह किन समस्याओं के बारे में बात कर रहा था।
बाथरूम के रास्ते घुसी पुलिस
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने आर्य से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन जब बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई, तो पुलिस की टीम बाथरूम के रास्ते स्टूडियो में घुसी। अग्निशमन विभाग ने पुलिस को पहली मंजिल की खिड़की तक चढ़ने के लिए एक सीढ़ी उपलब्ध कराई। नलावडे ने बताया कि 17 बच्चों, एक वरिष्ठ नागरिक और एक अन्य व्यक्ति को मुक्त करा लिया गया।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
राज्य के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री केसरकर ने स्पष्ट किया कि उनका नाम बेवजह इस विवाद में घसीटा जा रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रोहित आर्य 'स्वच्छता मॉनिटर' नामक एक अवधारणा लेकर आए थे और उन्हें 'मेरा स्कूल एक सुंदर स्कूल है' अभियान के तहत एक ठेका दिया गया था। हालांकि, उन्होंने कुछ प्रत्यक्ष मौद्रिक लेन-देन किए। केसरकर ने कहा कि उन्हें विभाग से बात करनी चाहिए थी और मामला सुलझाना चाहिए था, क्योंकि वे सरकारी काम कर रहे थे, क्योंकि ऐसी आधिकारिक प्रक्रियाओं में कुछ प्रोटोकॉल होते हैं। केसरकर ने कहा कि लोगों को बंधक बनाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि हम सभी को निर्धारित मानदंडों के तहत काम करने की जरूरत है।
बड़े सवाल?
इस बीच, मुंबई जैसे शहर के पवई इलाके में हुई इस तरह की घटना के बाद कई लोगों की भौंहें तन गई हैं। गनीमत रही कि पुलिस ने सतर्कता बरती और आरोपी को पकड़ लिया। यह देखना भी ज़रूरी है कि आरोपी के साथ और कौन-कौन लोग हैं।
कौन था रोहित आर्य?
बच्चों को बंधक बनाने के आरोपी की पहचान 50 वर्षीय रोहित आर्य के रूप में हुई। जो कि पुणे का रहने वाला था। बताया गया कि जब शिवसेना नेता दीपक केसरकर शिक्षा मंत्री थे, तब उसे एक स्कूल प्रोजेक्ट का टेंडर मिला था। लेकिन रोहित आर्य का आरोप था कि उसे उस प्रोजेक्ट के पैसे नहीं मिले। शुरुआती जानकारी अब सामने आ रही है कि जब दीपक केसरकर मंत्री थे, तब उन्होंने अक्सर उनके आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।
कैसे हुई रोहित आर्य की मौत?
एक अधिकारी ने बताया कि रोहित आर्य पर पुलिस ने उस समय गोली चलाई जब वह ‘एयर गन’ से बच्चों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने बताया कि बाद में अस्पताल में आर्य की मौत हो गई। डीसीपीदत्ता नलावडे ने बताया कि गुरुवार दोपहर करीब डेढ़ बजे पवई पुलिस थाने को सूचना मिली कि महावीर क्लासिक बिल्डिंग के आरए स्टूडियो (Ra Studio) में एक व्यक्ति ने 17 बच्चों को बंधक बना लिया है। उन्होंने बताया कि पवई पुलिस के अधिकारी त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी), बम निरोधक दस्ते और दमकल विभाग की एक टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस के आने से पहले वायरल हुआ वीडियो
पुलिस के स्टूडियो में घुसने से पहले रोहित आर्य ने एक वीडियो जारी किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आर्य ने कहा कि मैं रोहित आर्य हूं। आत्महत्या करने के बजाय मैंने एक योजना बनाई और कुछ बच्चों को बंधक बना लिया... मेरी बहुत ही साधारण मांगें हैं। बहुत ही नैतिक मांगें। उसने कहा कि मेरे कुछ सवाल हैं। मैं कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं और उनके जवाबों के आधार पर, अगर कोई प्रति-प्रश्न हों, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं। लेकिन मुझे ये जवाब चाहिए। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं, न ही मेरी पैसों की कोई मांग है। मैं साधारण बातचीत करना चाहता हूं।
पुलिस को दी धमकी
आर्य ने कहा कि तुम्हारी तरफ से जरा सी भी गलती मुझे इस पूरी जगह को आग लगाने के लिए मजबूर कर सकती है... मैं मरूं या न मरूं, बच्चों को बेवजह चोट पहुंचेगी... मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। आर्य ने कहा कि बातचीत के बाद, वह कमरे से बाहर आ जाएगा। आर्य ने कहा कि बहुत से लोगों को ये समस्याएं होती हैं और वह बातचीत के जरिए समाधान सुझाएगा, हालांकि उसने यह नहीं बताया कि वह किन समस्याओं के बारे में बात कर रहा था।
बाथरूम के रास्ते घुसी पुलिस
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने आर्य से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन जब बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई, तो पुलिस की टीम बाथरूम के रास्ते स्टूडियो में घुसी। अग्निशमन विभाग ने पुलिस को पहली मंजिल की खिड़की तक चढ़ने के लिए एक सीढ़ी उपलब्ध कराई। नलावडे ने बताया कि 17 बच्चों, एक वरिष्ठ नागरिक और एक अन्य व्यक्ति को मुक्त करा लिया गया।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
राज्य के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री केसरकर ने स्पष्ट किया कि उनका नाम बेवजह इस विवाद में घसीटा जा रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रोहित आर्य 'स्वच्छता मॉनिटर' नामक एक अवधारणा लेकर आए थे और उन्हें 'मेरा स्कूल एक सुंदर स्कूल है' अभियान के तहत एक ठेका दिया गया था। हालांकि, उन्होंने कुछ प्रत्यक्ष मौद्रिक लेन-देन किए। केसरकर ने कहा कि उन्हें विभाग से बात करनी चाहिए थी और मामला सुलझाना चाहिए था, क्योंकि वे सरकारी काम कर रहे थे, क्योंकि ऐसी आधिकारिक प्रक्रियाओं में कुछ प्रोटोकॉल होते हैं। केसरकर ने कहा कि लोगों को बंधक बनाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि हम सभी को निर्धारित मानदंडों के तहत काम करने की जरूरत है।
बड़े सवाल?
इस बीच, मुंबई जैसे शहर के पवई इलाके में हुई इस तरह की घटना के बाद कई लोगों की भौंहें तन गई हैं। गनीमत रही कि पुलिस ने सतर्कता बरती और आरोपी को पकड़ लिया। यह देखना भी ज़रूरी है कि आरोपी के साथ और कौन-कौन लोग हैं।
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