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AI कब तक हो जाएगा इंसानों जितना होशियार? एक्सपर्ट्स ने बता दी ऐसी-ऐसी बातें जो आंखें खोल देंगी

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लंदन में हुए FT फ्यूचर ऑफ AI समिट में दुनिया के बड़े AI एक्सपर्ट्स ने एक सवाल पर बहस की। सवाल था- मशीनें कब इंसानों जितनी होशियार हो जाएंगी? जवाब एक जैसे नहीं थे। कोई बोला 20 साल में, कोई बोला 5 साल में, तो कोई बोला ये सवाल ही गलत है। ये एक्सपर्ट 2025 के क्वीन एलिजाबेथ इंजीनियरिंग पुरस्कार विजेता हैं। इनमें जियोफ्री हिंटन, यान लेकुन, फेई-फेई ली, जेन्सन हुआंग, योशुआ बेंजियो और बिल डैली शामिल थे। चलिए, जान लेते हैं कि एक्सपर्ट्स ने क्या कहा और वे इस बारे में क्या मानते हैं कि AI इंसानों से कब तक आगे निकल जाएगा?


हिंटन का दावा- 20 साल से कम में इंसानी दिमाग जैसा होगा AIइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि जियोफ्री हिंटन को AI का गॉडफादर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अगर AGI (Artificial General Intelligence) की बात करें, तो हम 20 साल से कम में वहां पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि अगर मशीन से बहस करेंगे, तो वो हमेशा जीतेगी। ये 20 साल में हो जाएगा। हिंटन ने 1984 में स्मॉल लैंग्वेज मॉडल बनाया था। उसमें सिर्फ 100 उदाहरण थे। उन्होंने कहा, 'हमें कंप्यूटर पावर और डेटा की कमी थी। अब ये दोनों हैं।'




बेंजियो बोले - 5 साल में कर्मचारियों जैसा कामयोशुआ बेंजियो ने कहा कि AI की ताकत पिछले 6 साल में बहुत तेज बढ़ी है। अगर यही रफ्तार रही, तो 5 साल में AI एक कर्मचारी जितना काम करेगा। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य अनिश्चित है। हम बड़े दावे न करें, कई संभावनाएं हैं।



लेकुन का जवाब- AI की ताकत धीरे-धीरे बढ़ेगीमेटा के मैन AI वैज्ञानिक यान लेकुन ने कहा कि ये कोई एक घटना नहीं होगी। AI की ताकत धीरे-धीरे बढ़ेगी। अगले 5-10 साल में नया तरीका आएगा, लेकिन समय लगेगा। वे बोले कि अभी AI बिल्ली जितना होशियार भी नहीं है। ये सिर्फ डेटा और पैसा नहीं, विज्ञान की बात है।



फेई-फेई ली- इंसानी दिमाग और AI का लक्ष्य अलग-अलगस्टैनफोर्ड की प्रोफेसर फेई-फेई ली ने कहा कि AI कुछ कामों में इंसानों से आगे है। जैसे 22,000 चीजें पहचानना या 100 भाषाएं अनुवाद करना। लेकिन स्पेस समझने में कमजोर है। इंसानी दिमाग दुनिया को महसूस करता है, AI नहीं। दोनों अलग उद्देश्य के लिए बने हैं।



AI बुलबुला है या शुरुआत?पैनल ने AI बूम पर भी बात की। हुआंग ने कहा कि डॉटकॉम दौर में फाइबर बेकार पड़ा था, लेकिन आज हर GPU इस्तेमाल हो रहा है। AI काम करता है, मेहनत बचाता है। लेकुन बोले कि LLM से इंसानी बुद्धि नहीं आएगी, ये बुलबुला है।
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