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अब बार-बार चिरौरी क्यों करने लगे हैं डोनाल्ड ट्रंप.. भारत बिना नहीं अमेरिका का गुजारा

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नई दिल्ली: ट्रंप के टैरिफ बम के बाद भारत और अमेरिका में तनाव चरम पर पहुंच गया। हालात ये हो गए कि पीएम मोदी ने यूएस राष्ट्रपति का फोन तक उठाना बंद कर दिया। यही नहीं भारत ने रूस के साथ-साथ चीन से भी घनिष्ठता बढ़ानी शुरू कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एससीओ समिट में हिस्सा लेने चीन पहुंच गए। भारत ने जिस तरह से एक साथ कई मोर्चों पर फोकस बढ़ाया इससे ट्रंप प्रशासन मानो टेंशन में आ गया। जल्द ही इसका असर नजर भी आने लगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पोस्ट से लेकर बयानों के जरिए उन्होंने रिश्तों में गरमाहट लाने की कोशिशें की हैं। जिस तरह से ट्रंप के रुख में बदलाव आया उसे देखकर सवाल उठ रहे कि आखिर वो भारत से चिरौरी में क्यों जुट गए हैं?



ट्रंप ने यूं ही नहीं चला दोस्ती वाला दांव

भारत को लेकर ट्रंप के बदले मिजाज की एक-दो नहीं कई वजहें मानी जा रही। सबसे बड़ा फैक्टर है कि भारत ने अमेरिका की ओर से 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद दूसरे देशों में ट्रेड को लेकर बातचीत शुरू कर दी। इससे ट्रंप को भारत के रूप में एक बड़ा बाजार खुद से छिटकता नजर आया। यूएस प्रशासन को पता है कि भारत ट्रेड के लिहाज कितना अहम है। अमेरिकी कंपनियों का ये सबसे बड़ा उपभोक्ता है। ऐसे में वो इन्हें खुद से दूर जाने नहीं देना चाहता।



चीन को काउंटर भारत ही कर सकता है

एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत और चीन प्रमुख स्थान रखते हैं। अमेरिका को पता है कि चीन को अगर कोई काउंटर कर सकता है तो वो भारत ही है। हालांकि, जिस तरह से भारत और चीन के बीच हाल के समय में रिश्ते प्रगाढ़ हो रहे। बैठकों का दौर चल रहा, वो कहीं न कहीं यूएस के लिए बड़ी टेंशन से कम नहीं है। इसी बात का अहसास ट्रंप प्रशासन को हुआ और उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती का जिक्र करते हुए सकारात्मक ट्रेड वार्ता की पेशकश कर दी।



भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता US कंपनियों का

भारत से दोस्ती के पीछे ट्रंप की बदली रणनीति एक वजह ये भी है कि वो अमेरिकी कंपनियों के अपने सबसे बड़े उपभोक्ता को ज्यादा दिनों तक नाराज नहीं रख सकता। भारत लंबे समय से अमेरिकी हथियारों की डील भी करता रहा है। हालांकि, यूएस से रिश्ते खराब होने पर वो दूसरे देशों का रुख कर सकता है। रूस से भारत की करीबी किसी से छिपी नहीं है। ट्रंप प्रशासन भी ये बात जानता है। ऐसे में वो नहीं चाहेगा कि भारत डिफेंस से जुड़ी बड़ी डील के लिए अमेरिका से इतर कहीं और जाए।



भारत हथियार अमेरिका से ही खरीदता है

ट्रंप ने जिस तरह से एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती का जिक्र कर संबंधों को नया आयाम देने की कोशिश की है, इसके कई मायने हैं। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका और भारत की जुगलबंदी आगे बढ़े। व्यापारिक ही नहीं हर क्षेत्र में भारत साथ चले। अगर ऐसा होता है तो संबंधों का वैश्विक गठजोड़ पर गहरा असर पड़ेगा। पीएम मोदी भी इस बात को समझते हैं। यही वजह है कि जब भी ट्रंप दोनों देशों के रिश्तों को लेकर पोस्ट करते हैं भारत के प्रधानमंत्री भी उस पर सधे अंदाज में रिएक्ट करते हैं।



ट्रंप के दोस्ती वाले पोस्ट पर पीएम मोदी का जवाब

यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को सोशल मीडिया पोस्ट में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के सकारात्मक आकलन का अपडेट दिया। उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती का जिक्र करते हुए विश्वास जताया कि यह वार्ता दोनों देशों के बीच साझेदारी की असीम संभावनाओं को तलाशने का मार्ग प्रशस्त करेगी। ट्रंप की पोस्ट पर पीएम मोदी ने भी रिएक्ट किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। दोनों देश व्यापार वार्ता को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।



भारत-अमेरिका की जुगलबंदी का होगा गहरा असर

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे। ट्रंप के भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद बढ़ी तल्खी के बीच ये बड़ा कूटनीतिक घटनाक्रम है। जिस तरह से दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत हो रही इससे भारत और यूएस के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं।



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