पचास के दशक में बॉलीवुड में एक ऐसा सितारा रहा, जिसके स्टारडम ने हर किसी को चौंका दिया था। यह बॉलीवुड का सबसे रईस एक्टर था, जिसके पास उस जमाने में मुंबई के पॉश इलाके में कई बंगले थे। महंगी-महंगी कारें थीं। धीरे-धीरे यह एक्टर खूब मालामाल हो गया और काफी पैसा आने लगा। लेकिन कुछ समय बाद ऐसा हाल हुआ कि यह बेसहारा हो गया और पाई-पाई को मोहताज भी। एक बार इसे अमिताभ बच्चन ने एक बस स्टॉप पर देखा था..एकदम बेसहारा और असहाय। कोई भी इसे नहीं पहचाना और अमिताभ भी गच्चा खा गए थे।यह थे एक्टर भारत भूषण, जो 50 के दशक के बड़े सुपरस्टार थे। उन्होंने 60 रुपये महीना एक नौकरी से शुरुआत की थी और फिर साल 1942 में फिल्मों में कदम रखे। फिल्म का नाम था 'भक्त कबीर', जो ब्लॉकबस्टर रही और भारत भूषण की किस्मत चमक गई। भारत भूषण के पास थी अपार दौलत और बंगले, हुआ था बुरा हालभारत भूषण के पास फिल्मों की लाइन लग गई और उन्होंने एक के बाद एक कई मूवीज कीं। वह देखते ही देखते खूब रईस हो गए। मुंबई में कई आलीशान और लग्जरी बंगले, महंगी गाड़ियां तक खरीद लीं। पर ऐसा भी वक्त आया, जब भारत भूषण पाई-पाई को मोहताज हो गए और बंगले-गाड़ियां तक बेचने पड़े। भारत भूषण ने कुछ जगह पैसे निवेश किए थे और कुछ फिल्मों में पैसे लगाए थे, जो नहीं चलीं। इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था। धीरे-धीरे भारत भूषण के हाथ से स्टारडम फिसल गया और वह एक अनजान शख्स बन गए।
1992 में निधन, अमिताभ ने असहाय हालत में बस स्टॉप पर देखा थासारे बंगले बेचकर भारत भूषण मलाड स्थित अपने बंगले में शिफ्ट हो गए, जहां साल 1992 में उनका निधन हो गया था। उनके निधन के दो दशक बाद अमिताभ बच्चन ने उनकी जगह और वैसी ही लोकप्रियता हासिल कर ली। अमिताभ बच्चन ने एक बार अपने ब्लॉग में भारत भूषण की हालत के बारे में बताया था। अमिताभ के मुताबिक, भारत भूषण एक बस स्टॉप पर असहाय से खड़े थे। न तो कोई उनके साथ था और ना ही कोई उन्हें पहचान पाया। अमिताभ ने चाहकर भी भारत भूषण को लिफ्ट नहीं दी। उन्होंने इसकी वजह भी बताई थी।
बस स्टॉप पर लाइन में खड़े थे भारत भूषण, एकदम बेसहारा कोई नहीं पहचानाअमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में लिखा था, 'एक सुबह जब मैं काम के लिए सांताक्रूज से गुजर रहा था, तो मैंने देखा कि 50 के दशक के महान स्टार, जो रोमांटिक दिलों की धड़कन, और उस समय की सबसे सफल कुछ म्यूजिकल फिल्मों के हीरो थे...भारत भूषण, वह बस स्टॉप पर लाइन में खड़े थे। एक साधारण से आम आदमी की तरह। भीड़ का हिस्सा बनकर...एकदम अकेले और अनजान। कोई भी उन्हें नहीं पहचान रहा था। कोई नहीं जानता था कि वह कौन थे।'
इस कारण भारत भूषण को लिफ्ट नहीं दे सके थे अमिताभअमिताभ ने आगे लिखा था, 'मैं रुकना चाहता था और उन्हें छोड़ने के लिए कार में लिफ्ट देना चाहता था, पर मैं पूछने का साहस नहीं जुटा सका। मुझे डर था कि मैं उन्हें शर्मिंदा कर दूंगा। और मैं आगे बढ़ गया। लेकिन वह सीन मेरी आंखों के सामने रहा, और हमेशा रहेगा। यह किसी के साथ भी हो सकता है। हममें से किसी के साथ भी।' 'अंतिम संस्कार में मुश्किल से आठ लोग ही मौजूद थे'वहीं, पत्रकार अली पीटर जॉन ने एक आर्टिकल में भारत भूषण के आखिरी दिनों के बारे में लिखा था। 'स्क्रीन' के मुताबिक, उन्होंने लिखा था, 'वह करियर में लगातार गिरते रहे और उन्हें एक कमरे के अपार्टमेंट में रहना पड़ा। गुजारे के लिए छोटे-मोटे रोल करने पड़े। आखिरकार भारत भूषण को फिर मलाड में एक छोटे से फ्लैट में शिफ्ट होना पड़ा, जहां उनकी दर्दनाक मौत हो गई। उनके अंतिम संस्कार में मुश्किल से आठ लोग ही मौजूद थे।'
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