कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चार बार के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी ने साइबर धोखाधड़ी का शिकार होकर 55 लाख रुपये से अधिक गंवा दिए हैं। साइबर अपराधियों ने उनके एक निष्क्रिय भारतीय स्टेट बैंक (SBI) खाते तक पहुंच बनाई और फर्जी केवाईसी (KYC) दस्तावेजों का इस्तेमाल कर इस वारदात को अंजाम दिया। कोलकाता की एसबीआई हाई कोर्ट शाखा ने साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है और तत्काल जांच की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
शिकायत के अनुसार, ठगों ने कल्याण बनर्जी के पैन और आधार कार्ड का इस्तेमाल किया, लेकिन उन पर एक अलग तस्वीर लगा दी। इन फर्जी दस्तावेजों से उन्होंने बनर्जी के खाते के केवाईसी विवरण को अपडेट कर दिया। इसके बाद 28 अक्टूबर 2025 को खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को भी बदल दिया गया, जिससे अपराधियों को खाते पर पूरा नियंत्रण मिल गया। एक बार जब यह जानकारी बदल दी गई, तो ठगों ने इंटरनेट बैंकिंग के जरिए कई अनधिकृत लेनदेन किए और कुल 56,39,767 रुपये निकाल लिए। यह पैसा कई लाभार्थी खातों में भेजा गया, गहने खरीदे गए और एटीएम से भी निकाला गया।
सालों से निष्क्रिया था खाता
यह खाता सालों से निष्क्रिय पड़ा था। यह खाता तब खोला गया था जब कल्याण बनर्जी 2001 से 2006 तक आसनसोल (दक्षिण) से तृणमूल कांग्रेस के विधायक थे। उस दौरान पश्चिम बंगाल के विधायक के तौर पर उनका वेतन इसी खाते में आता था। तब से यह खाता बंद पड़ा था, लेकिन अब धोखाधड़ी से इसे फिर से चालू कर दिया गया। कल्याण बनर्जी पहले लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के चीफ व्हिप रह चुके हैं। उनको इस धोखाधड़ी का तब पता चला जब उन्हें मालूम हुआ कि उनके एसबीआई के कालीघाट शाखा स्थित निजी खाते से 55 लाख रुपये पहले इस निष्क्रिय खाते में ट्रांसफर किए गए थे और फिर ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए निकाल लिए गए।
एसबीआई को दूी सूचना
इस गड़बड़ी का पता चलने पर बनर्जी ने एसबीआई अधिकारियों को सूचित किया। बैंक ने तुरंत साइबर अपराध शिकायत दर्ज कराई और आंतरिक जांच शुरू की ताकि यह पता लगाया जा सके कि बैंक के अंदर कोई प्रक्रियात्मक चूक तो नहीं हुई। बैंक ने जांचकर्ताओं को अपराधियों और पैसे के रास्ते का पता लगाने में मदद करने के लिए सभी सहायक दस्तावेज, केवाईसी रिकॉर्ड और लेनदेन विवरण प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
जांच कर रही पुलिस
कोलकाता पुलिस साइबर अपराध डिवीजन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है। हम बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं कि खाते तक कैसे पहुंचा गया। अपराधियों और धन के गंतव्य का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उनके करीबी एक वरिष्ठ तृणमूल नेता ने कहा कि सांसद को आशा है कि पुलिस जल्द ही मामले को सुलझा लेगी और उन्हें खोई हुई राशि वापस पाने में मदद करेगी।
फर्जी केवाईसी से लगाइ सेंध
पुलिस ने यह भी बताया कि ठगों ने फर्जी केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बनर्जी की तस्वीर और एक नया मोबाइल नंबर इस्तेमाल किया था। यह एक बहुत ही चालाकी भरा तरीका था, जिससे डिजिटल बैंकिंग सत्यापन प्रणालियों में संभावित कमजोरियों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
क्या है पूरा मामला?
शिकायत के अनुसार, ठगों ने कल्याण बनर्जी के पैन और आधार कार्ड का इस्तेमाल किया, लेकिन उन पर एक अलग तस्वीर लगा दी। इन फर्जी दस्तावेजों से उन्होंने बनर्जी के खाते के केवाईसी विवरण को अपडेट कर दिया। इसके बाद 28 अक्टूबर 2025 को खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को भी बदल दिया गया, जिससे अपराधियों को खाते पर पूरा नियंत्रण मिल गया। एक बार जब यह जानकारी बदल दी गई, तो ठगों ने इंटरनेट बैंकिंग के जरिए कई अनधिकृत लेनदेन किए और कुल 56,39,767 रुपये निकाल लिए। यह पैसा कई लाभार्थी खातों में भेजा गया, गहने खरीदे गए और एटीएम से भी निकाला गया।
सालों से निष्क्रिया था खाता
यह खाता सालों से निष्क्रिय पड़ा था। यह खाता तब खोला गया था जब कल्याण बनर्जी 2001 से 2006 तक आसनसोल (दक्षिण) से तृणमूल कांग्रेस के विधायक थे। उस दौरान पश्चिम बंगाल के विधायक के तौर पर उनका वेतन इसी खाते में आता था। तब से यह खाता बंद पड़ा था, लेकिन अब धोखाधड़ी से इसे फिर से चालू कर दिया गया। कल्याण बनर्जी पहले लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के चीफ व्हिप रह चुके हैं। उनको इस धोखाधड़ी का तब पता चला जब उन्हें मालूम हुआ कि उनके एसबीआई के कालीघाट शाखा स्थित निजी खाते से 55 लाख रुपये पहले इस निष्क्रिय खाते में ट्रांसफर किए गए थे और फिर ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए निकाल लिए गए।
एसबीआई को दूी सूचना
इस गड़बड़ी का पता चलने पर बनर्जी ने एसबीआई अधिकारियों को सूचित किया। बैंक ने तुरंत साइबर अपराध शिकायत दर्ज कराई और आंतरिक जांच शुरू की ताकि यह पता लगाया जा सके कि बैंक के अंदर कोई प्रक्रियात्मक चूक तो नहीं हुई। बैंक ने जांचकर्ताओं को अपराधियों और पैसे के रास्ते का पता लगाने में मदद करने के लिए सभी सहायक दस्तावेज, केवाईसी रिकॉर्ड और लेनदेन विवरण प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
जांच कर रही पुलिस
कोलकाता पुलिस साइबर अपराध डिवीजन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है। हम बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं कि खाते तक कैसे पहुंचा गया। अपराधियों और धन के गंतव्य का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उनके करीबी एक वरिष्ठ तृणमूल नेता ने कहा कि सांसद को आशा है कि पुलिस जल्द ही मामले को सुलझा लेगी और उन्हें खोई हुई राशि वापस पाने में मदद करेगी।
फर्जी केवाईसी से लगाइ सेंध
पुलिस ने यह भी बताया कि ठगों ने फर्जी केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बनर्जी की तस्वीर और एक नया मोबाइल नंबर इस्तेमाल किया था। यह एक बहुत ही चालाकी भरा तरीका था, जिससे डिजिटल बैंकिंग सत्यापन प्रणालियों में संभावित कमजोरियों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
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