तेहरान: ईरान ने गुरुवार को उत्तरी हिंद महासागर और ओमान की खाड़ी में सैन्य अभ्यास शुरू किया है। दो दिवसीय अभ्यास में ईरान की नेवी और एयरफोर्स पनडुब्बी यूनिट, तटीय और समुद्र आधारित मिसाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध टीमें शामिल हैं। अभ्यास शुरू करते हुए ईरानी नौसेना के जहाजों ने ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर में मिसाइलें दागीं है। इजरायल के साथ जून में हुए 12 दिन के युद्ध के बाद ईरान का यह पहला सैन्य अभ्यास है। ऐसे में इजरायल और अमेरिका की इस पर नजर है।
ईरानी सेना के प्रवक्ता हस्सानी ने बताया है कि तेहरान ने इस अभ्यास को 'इक्तेदार 1404' नाम दिया है। इसका मकसद समुद्री टारगेट भेदने के उद्देश्य से छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की सटीक क्रूज मिसाइलों को परखना है। इसका प्राथमिक लक्ष्य युद्ध की तैयारी को बढ़ावा देना, कमान क्षमताओं को बढ़ाना, निवारक क्षमता विकसित करना और ईरानी जनता में सुरक्षा की भावना का संचार करना है।
इजरायल-अमेरिका से ईरान का तनावईरान का यह अभ्यास इजरायल और अमेरिका के साथ तनाव को दिखाता है। इजरायल और अमेरिका के साथ जून में हुए संघर्ष में ईरान ने अपनी मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। ईरान के रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा कि दुश्मन को समझना चाहिए कि उसके किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब दिया जाएगा। ईरानी रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने कहा कि उनके देश के पास अब इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल की गई मिसाइलों से बेहतर मिसाइलें हैं।
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के सलाहकार याह्या रहीम सफवी ने कहा है कि इजरायल के साथ भविष्य में किसी संघर्ष की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम अभी पूरी तरह से युद्धविराम की स्थिति में नहीं हैं, बल्कि युद्ध के ऐसे दौर में हैं जो कभी भी टूट सकता है। हमारा इजरायलियों या अमेरिकियों के साथ कोई प्रोटोकॉल या समझौता नहीं है।
फिर बढ़ेगा क्षेत्र में तनावईरान और इजरायल की ओर से आक्रामक बयानों के बीच होने की वजह से इस अभ्यास ने दुनिया का ध्यान खींचा है। खासतौर से अमेरिका और इजरायल की निगाह इस पर लगी है। कई एक्सपर्ट का कहना है कि इससे इजरायल-ईरान में एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। हालांकि दुनिया के कई एक्सपर्ट इसे नियमित अभ्यास की तरह देख रहे हैं।
ईरान के सरकारी टीवी ने कहा है कि फ्रिगेट आईआरआईएस सबलान और एक छोटे पोत, आईआरआईएस गनवेह ने समुद्र में स्थित लक्ष्यों पर नासिर और कादिर क्रूज मिसाइलें दागकर उन्हें निशाना बनाया। अभ्यास के दौरान तटीय बैटरियों ने भी गोलाबारी की। ईरान की नौसेना में करीब 18,000 कर्मी हैं। बंदरगाह शहर बंदर अब्बास में स्थित यह नौसेना ओमान की खाड़ी, हिंद महासागर और कैस्पियन सागर में गश्त करती है।
ईरानी सेना के प्रवक्ता हस्सानी ने बताया है कि तेहरान ने इस अभ्यास को 'इक्तेदार 1404' नाम दिया है। इसका मकसद समुद्री टारगेट भेदने के उद्देश्य से छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की सटीक क्रूज मिसाइलों को परखना है। इसका प्राथमिक लक्ष्य युद्ध की तैयारी को बढ़ावा देना, कमान क्षमताओं को बढ़ाना, निवारक क्षमता विकसित करना और ईरानी जनता में सुरक्षा की भावना का संचार करना है।
इजरायल-अमेरिका से ईरान का तनावईरान का यह अभ्यास इजरायल और अमेरिका के साथ तनाव को दिखाता है। इजरायल और अमेरिका के साथ जून में हुए संघर्ष में ईरान ने अपनी मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। ईरान के रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा कि दुश्मन को समझना चाहिए कि उसके किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब दिया जाएगा। ईरानी रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने कहा कि उनके देश के पास अब इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल की गई मिसाइलों से बेहतर मिसाइलें हैं।
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के सलाहकार याह्या रहीम सफवी ने कहा है कि इजरायल के साथ भविष्य में किसी संघर्ष की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम अभी पूरी तरह से युद्धविराम की स्थिति में नहीं हैं, बल्कि युद्ध के ऐसे दौर में हैं जो कभी भी टूट सकता है। हमारा इजरायलियों या अमेरिकियों के साथ कोई प्रोटोकॉल या समझौता नहीं है।
फिर बढ़ेगा क्षेत्र में तनावईरान और इजरायल की ओर से आक्रामक बयानों के बीच होने की वजह से इस अभ्यास ने दुनिया का ध्यान खींचा है। खासतौर से अमेरिका और इजरायल की निगाह इस पर लगी है। कई एक्सपर्ट का कहना है कि इससे इजरायल-ईरान में एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। हालांकि दुनिया के कई एक्सपर्ट इसे नियमित अभ्यास की तरह देख रहे हैं।
ईरान के सरकारी टीवी ने कहा है कि फ्रिगेट आईआरआईएस सबलान और एक छोटे पोत, आईआरआईएस गनवेह ने समुद्र में स्थित लक्ष्यों पर नासिर और कादिर क्रूज मिसाइलें दागकर उन्हें निशाना बनाया। अभ्यास के दौरान तटीय बैटरियों ने भी गोलाबारी की। ईरान की नौसेना में करीब 18,000 कर्मी हैं। बंदरगाह शहर बंदर अब्बास में स्थित यह नौसेना ओमान की खाड़ी, हिंद महासागर और कैस्पियन सागर में गश्त करती है।
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