Tulsi Vivah muhurat : आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भगवान के शालिग्राम स्वरूप के साथ विवाह संस्कार कराया जाता है। इससे एक दिन पहले देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग तुलसी विवाह में भाग लेते हैं उन्हें कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता है।
तुलसी विवाह का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार द्वादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 3 नवंबर को सुबह 5 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। पंचांग के अनुसार, 2 नवंबर को दोपहर करीब 1 बजे से लेकर रात 10 बजकर 33 मिनट तक त्रिपुष्कर योग तुलसी विवाह के लिए बेहद शुभ समय है।
तुलसी विवाह की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करके से विवाह में देरी जैसी समस्या दूर होती है। घर में तुलसी विवाह का आयोजन करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति आती है। इसके अलावा, तुलसी विवाह कराने से कन्यादान करने जैसा पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
तुलसी विवाह कैसे करें
तुलसी विवाह का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार द्वादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 3 नवंबर को सुबह 5 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। पंचांग के अनुसार, 2 नवंबर को दोपहर करीब 1 बजे से लेकर रात 10 बजकर 33 मिनट तक त्रिपुष्कर योग तुलसी विवाह के लिए बेहद शुभ समय है।
तुलसी विवाह की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करके से विवाह में देरी जैसी समस्या दूर होती है। घर में तुलसी विवाह का आयोजन करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति आती है। इसके अलावा, तुलसी विवाह कराने से कन्यादान करने जैसा पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
तुलसी विवाह कैसे करें
- तुलसी विवाह के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
- तुलसी के पौधे को साफ जगह पर रखें।
- तुलसी के पौधे के पास भगवान विष्णु की शालिग्राम या मूर्ति स्थापित करें।
- शादी का मंडप तैयार करें।
- फूलों, आम के पत्तों और केले के तनों से सजाएं।
- गंगाजल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, फूल, धूप चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु के शालिग्राम को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
- इसी प्रकार तुलसी के पौधे को गंगाजल और ताजे पानी से स्नान कराएं।
- विवाह मंडप में तुलसी का पौधा और शालिग्राम रखें और सात फेरे लें।
- पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद वितरित करें और भगवान का आशीर्वाद लें।
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