फिल्मों में आपने अक्सर देखा होगा – हीरो अचानक मुसीबतों से घिर जाता है, हालात उसके खिलाफ खड़े हो जाते हैं। जहां आम इंसान टूटकर हार मान लेता है, वहीं हीरो हर चुनौती को मात देकर एक नई कामयाबी की कहानी लिखता है। यही जज़्बा हमें भीतर तक छू जाता है, क्योंकि कहीं न कहीं हम सब अपने जीवन के हीरो बनना चाहते हैं। लेकिन अगर कहा जाए कि ऐसी कहानियाँ सिर्फ पर्दे पर नहीं, असल ज़िंदगी में भी घटती हैं तो आप चौंकेंगे, है ना? दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का आठवां भाव उसी रहस्य से पर्दा उठाता है, जो दिखाता है कि संकट कैसे इंसान को तोड़ता नहीं, बल्कि तराशता है।
अचानक धन मिलना, विरासत, बीमा या शेयर बाज़ार से होने वाला लाभ, ये सब इसी रहस्यमय भाव की देन माने जाते हैं। कहते हैं, जिंदगी जब सबसे ज्यादा उलझी लगती है, तभी कुछ अप्रत्याशित खुलासे करती है ठीक वैसे ही जैसे कुंडली का आठवां भाव करता है। आठवां भाव हमें सिखाता है कि हर संकट, दरअसल एक नए आरंभ की तैयारी होता है।
वैदिक ज्योतिष में आठवें भाव को आयु भाव कहा गया है, क्योंकि यह जीवन की गहराई और पुनर्जन्म दोनों से जुड़ा है। इस भाव में वृश्चिक राशि का अधिकार है, जो रहस्य, शक्ति, जुनून और महत्वाकांक्षा का प्रतीक मानी जाती है। यहां मंगल और शनि अपने प्रभाव से व्यक्ति को साहस, सहनशीलता और परिवर्तन की क्षमता देते हैं। वहीं बृहस्पति और सूर्य इस भाव में अनुकूल परिणाम देते हैं, जबकि चंद्रमा और बुध यहां थोड़े असहज माने जाते हैं। आठवां भाव हमें यह याद दिलाता है कि जीवन की अंधेरी सुरंगों के पार ही उजाले की शुरुआत होती है।
जन्मकुंडली का आठवां भाव जीवन का सबसे रहस्यमय और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र माना जाता है, यह वह जगह है जहां अंत और पुनर्जन्म दोनों के रहस्य छिपे होते हैं। यह भाव न केवल मृत्यु से जुड़ा होता है बल्कि उन परिस्थितियों से भी जो जीवन को मृत्यु-जैसा अनुभव कराती हैं। कभी-कभी यह भाव किसी ऐसे मोड़ की ओर इशारा करता है, जहां व्यक्ति सब कुछ खोकर खुद को नए रूप में पाता है। यही कारण है कि इसे प्रतीकात्मक अंत और नए आरंभ का भाव कहा जाता है।
इस भाव में स्थित ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार असर डालते हैं, अग्नि तत्व वाले ग्रह अग्नि या दुर्घटना से कष्ट दे सकते हैं। जल तत्व वाले ग्रह भावनात्मक या जलजनित संकट ला सकते हैं, जबकि वायु तत्व वाले ग्रह मानसिक तनाव या वात रोग जैसी पीड़ाओं से जोड़ते हैं। अगर इस भाव पर पाप ग्रहों का अधिक प्रभाव हो, तो यह अचानक होने वाली विपत्तियों या प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी चुनौतियां भी दिखा सकता है। लेकिन, यही अष्टम भाव व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है।
अब आइए, कुछ प्रसिद्ध व्यक्तित्वों की कुंडलियों के ज़रिए समझते हैं कि आठवें भाव ने कैसे उनके जीवन में निर्णायक भूमिका निभाई। अमिताभ बच्चन, आचार्य रजनीश (ओशो), जो बाइडेन (अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति), सुनीता विलियम्स (भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री) रेखा (हिंदी सिनेमा की अदाकारा) और वॉरेन बफेट (विश्वप्रसिद्ध निवेशक) इन सभी की कुंडलियों में अष्टम भाव ने एक गहरी कहानी रची है। तो चलिए, सबसे पहले देखते हैं, अमिताभ बच्चन की कुंडली में आठवें भाव का अद्भुत असर, जिसने उन्हें हर बार राख से उठकर फीनिक्स बना दिया।
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1942, 16:00 बजे, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। कुंभ लग्न और आठवें भाव में मौजूद चार ग्रह सूर्य, मंगल, उच्च बुध और नीच शुक्र सामान्यतः चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं, फिर भी उन्होंने फिल्म उद्योग में अभूतपूर्व सफलता हासिल की।
कुंडली का रहस्य यह है कि नक्षत्र ज्योतिष (कृष्णमूर्ति पद्धति) उनके भाग्य में गहराई से जुड़ा है। बृहस्पति ‘पुनर्वसु’ नक्षत्र में स्थित है, जो पंचम और एकादश भाव के माध्यम से अभिनय और सफलता का मार्ग खोलता है। 1969 में बृहस्पति की महादशा में उन्होंने करियर की शुरुआत की, और 1973 में बुध काल में स्टारडम की बुलंदियों को छू लिया। 1982 में ‘कुली’ शूटिंग के दौरान लगी चोट उनके जीवन का कठिन दौर था, यह चंद्रमा की दशा से जुड़ा था, जो छठे और आठवें भाव का प्रभाव दिखाता है। कुंडली के ये संकेत बताते हैं कि कठिनाइयों और स्वास्थ्य संबंधी संकटों के बावजूद, आठवें भाव की गहरी शक्ति ने उन्हें हर बार संघर्ष से ऊपर उठने में मदद की।
जो बाइडेन की कुंडली में आठवें भाव का उच्च बृहस्पति उन्हें उदार, संयमित और आध्यात्मिक बनाता है। यह शक्ति उन्हें चुनौतियों और कठिनाइयों के बावजूद विजेता बनाती है। 29 साल की उम्र में अमेरिका के छठे सबसे युवा सीनेटर बने, 8 साल उपराष्ट्रपति रहे और अंततः डोनाल्ड ट्रंप को हराकर राष्ट्रपति पद हासिल किया।
वॉरेन बफेट की कुंडली में आठवें भाव में बृहस्पति और मंगल की युति उन्हें ऊर्जावान, भावुक और साहसी बनाती है। यही संयोजन उन्हें अचानक धन लाभ और आक्रामक निवेश क्षमता का वरदान देता है, जो उनकी सफलता और निवेश जगत में अद्भुत उपलब्धियों का रहस्य है।
रेखा हिंदी सिनेमा की एक चमकती सितारा हैं, जिन्होंने ‘सिलसिला’ और ‘कभी-कभी’ जैसी फिल्मों से अपनी अमिट पहचान बनाई। उनकी कुंडली में आठवें भाव का उच्च बृहस्पति उन्हें नाम, प्रसिद्धि और अद्वितीय आकर्षण देता है, जबकि जीवन में आने वाले विवादों ने उनकी कहानी को और दिलचस्प बनाया।
सुनीता विलियम्स, भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और नौसेना अधिकारी, ने आठवें भाव में बृहस्पति और चंद्रमा की शुभ युति से अद्भुत उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने किसी महिला द्वारा सबसे लंबी अंतरिक्ष यात्रा (50.4 घंटे) की और सात बार अंतरिक्ष में जाने का रिकॉर्ड बनाया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि और समृद्धि मिली।
आचार्य रजनीश (ओशो) की कुंडली वृष लग्न की है, और उनके आठवें भाव में पांच ग्रहों मंगल, चंद्रमा, शुक्र, बुध और शनि की युति है। आठवें भाव का स्वामी शुक्र इन सभी ग्रहों के साथ होने के कारण उनके व्यक्तित्व में गहराई, गंभीरता, रहस्य और जीवन में शोध की प्रवृत्ति लाई। पंचग्रह योग ने ओशो को बहुआयामी, प्रयोगशील और रहस्यमय बनाया। अष्टम भाव की प्रबलता ने उनके जीवन में बार-बार परिवर्तन, विवाद और अप्रत्याशित घटनाएं रची। इसी ऊर्जा ने उन्हें ध्यान, तंत्र, दर्शन और आत्मज्ञान में अद्वितीय बनाया। ओशो का अष्टम भाव उन्हें गूढ़ विषयों, मृत्यु और जीवन के रहस्यों की ओर आकर्षित करता है। इस भाव की तीव्रता और पंचग्रह योग ने उन्हें अपार प्रसिद्धि दी, लेकिन आलोचना, विवाद और दुश्मनी भी साथ लाई। उनकी संपत्ति, अनुयायी और ध्यान केंद्र भी इस रहस्यमय आठवें भाव की शक्ति और अप्रत्याशित घटनाओं का परिणाम हैं।
अष्टम भाव: गुप्त रहस्यों और जीवन के प्रश्नों का घर
ज्योतिष में अष्टम भाव को गुप्त भाव भी कहा जाता है। यह जीवन के गहरे रहस्यों और ब्रह्मांड की सच्चाइयों को समझने का माध्यम है। नवम भाव के निकट होने के कारण यह भाव व्यक्ति की जीवन और अस्तित्व की जिज्ञासा को दर्शाता है, जैसे हम क्यों पैदा हुए, जीवन का उद्देश्य क्या है और मृत्यु के बाद क्या होता है। नवम भाव उच्च शिक्षा और बुद्धि का कारक है इसलिए ज्ञान और रहस्यों की खोज अक्सर आठवें भाव से जुड़ी होती है। यही कारण है कि इसे ज्योतिष में हर गहन प्रश्न की कुंजी माना जाता है। अष्टम भाव यौन और कामुक संबंधों का भी प्रतिनिधित्व करता है। यौन संबंध जीवन की उत्पत्ति और ऊर्जा का स्रोत होते हैं जबकि मृत्यु इसके विपरीत है।
अष्टम भाव के शुभ फल
यदि आठवां भाव शुभ ग्रहों और मजबूत योगों से समर्थित हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक चमत्कार लाता है। यह न केवल लंबी आयु और जीवन में स्थिरता प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति को विरोधियों और शत्रुओं पर विजय दिलाने की शक्ति भी देता है। इसके साथ ही आठवां भाव आध्यात्मिक और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करता है। गहन अध्ययन, मनोविज्ञान, विज्ञान, गणित और रिसर्च जैसी विद्या में उत्कृष्टता की राह खोलता है। यही कारण है कि ज्योतिष में आठवां भाव व्यक्ति के जीवन में सफलता और उन्नति के रहस्यमय स्रोत के रूप में माना जाता है।
अष्टम भाव के अशुभ फल
यदि आठवां भाव पीड़ित हो या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो तो इसके प्रभाव गंभीर और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। यह जीवनकाल में कमी, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, मानसिक अशांति और दुख ला सकता है। साथ ही व्यक्ति का मानसिक संतुलन भी डगमगा सकता है। कभी-कभी यह आपराधिक घटनाओं, दंड या सजा, व्यसन और प्रियजनों के नुकसान तक भी संकेत दे सकता है। आठवां भाव अप्रत्याशित मृत्यु या गंभीर दुर्घटनाओं से जुड़ी घटनाओं का भी प्रतीक है। यही कारण है कि ज्योतिष में अष्टम भाव को व्यक्ति के गुप्त रहस्यों, जीवन की गहन प्रवृत्तियों और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का दर्पण माना जाता है। कुंडली में इसकी स्थिति और ग्रहों की दशा जीवन के उतार-चढ़ाव और रहस्यमय घटनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है।
कुंडली के आठवें भाव में ग्रहों का प्रभाव
हर व्यक्ति के लिए आठवें भाव में ग्रहों का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह भाव जीवन के रहस्य, चुनौतियां और अप्रत्याशित घटनाएं नियंत्रित करता है। इस भाव में बैठे ग्रह व्यक्ति के अनुभव, संघर्ष और सफलता के तरीके को भिन्न-भिन्न रूप में प्रकट करते हैं। आइए, अब ग्रहों के अनुसार आठवें भाव के फल को समझते हैं:-
अष्टम भाव में सूर्य : अष्टम भाव में सूर्य व्यक्ति को जीवन के रहस्यों की खोज, आर्थिक मजबूती, धन की आवश्यकता और लीडरशिप के गुण प्रदान करता है। वहीं, इस स्थिति से स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे पित्त की अधिकता, क्रोध, हृदय रोग और आंखों से जुड़ी परेशानियां।
अष्टम भाव में चंद्रमा : अष्टम भाव में चंद्रमा व्यक्ति को संवेदनशील, निजी और रहस्यप्रिय बनाता है। इस स्थिति से व्यापार, विवाह या विरासत से धन लाभ के योग बनते हैं, लेकिन मन में तनाव, माता से दूरी या मानसिक तकलीफ भी हो सकती है। शारीरिक रूप से आंख, फेफड़े, जल संबंधी रोग और मूड स्विंग्स देखने को मिल सकते हैं।
अष्टम भाव में मंगल : अष्टम भाव में मंगल व्यक्ति में आवेग, साहस और जोखिम लेने की प्रवृत्ति लाता है, लेकिन इसके साथ गलतियों के गंभीर परिणाम, आकस्मिक चोट-दुर्घटनाएं और अचानक बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। यदि यह स्थिति शुभ हो तो व्यक्ति रिसर्च (शोध), रहस्यमय क्षेत्रों और साहसपूर्ण कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
अष्टम भाव में बुध : अष्टम भाव में बुध व्यक्ति को विरासत, अनुबंध, लेखन और रिसर्च के क्षेत्रों में लाभ और हानि दोनों का अनुभव करने वाला बनाता है। इस स्थिति से जातक में विचारशीलता, जिज्ञासा और विश्लेषण क्षमता विकसित होती है। ऐसे लोग जीवन के रहस्यों, गूढ़ विषयों और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अधिक रुचि रखते हैं।
अष्टम भाव में बृहस्पति : अष्टम भाव में बृहस्पति व्यक्ति को अधिक विचारशील, जांच-परख वाला और शोध की प्रवृत्ति वाला बनाता है। यह जातक गूढ़ ज्ञान, रहस्यमय विषयों और आध्यात्मिक खोज की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित होते हैं। इसके अलावा, उन्हें पारिवारिक सहयोग और अध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं, जिससे उनका जीवन ज्ञान और स्थिरता दोनों में समृद्ध होता है।
अष्टम भाव में शुक्र : अष्टम भाव में शुक्र व्यक्ति को काम सुख, रहस्यमय आकर्षण और वैवाहिक जीवन में गहराई का अनुभव कराता है। यह स्थिति उन्हें आकर्षक व्यक्तित्व और भावनात्मक संवेदनशीलता भी देती है, जिससे संबंध और अंतरंग जीवन अधिक संतुलित और सुखद बनते हैं। साथ ही तंत्र-मंत्र से लाभ का संकेत भी देती है। कभी-कभी यह विवाह के लिए अनुकूल नहीं भी हो सकता है।
अष्टम भाव में शनि : अष्टम भाव में शनि व्यक्ति को परिश्रमी, अनुशासित, विवेकशील और धैर्यवान बनाता है। जीवन में चुनौतियां और कठिनाइयां सामने आ सकती हैं, लेकिन यह स्थिति उन्हें संकटों से उबरने और मजबूत बनने की अद्भुत शक्ति भी देती है। अष्टम भाव का शनि जातक को दीर्घायु भी प्रदान करता है।
अष्टम भाव में राहु : अष्टम भाव में राहु जातक को साहसी, आविष्कारशील और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और गहरे शोध या मनोवैज्ञानिक कार्यों में सफलता दिला सकता है। यह स्थिति विदेश यात्रा, अचानक धन लाभ, तंत्र-मंत्र और गुप्त ज्ञान, जोखिम लेने की प्रवृत्ति और अनूठे अनुभव भी देती है। साथ ही जीवन में अनिश्चितता, मानसिक तनाव, व्यसन और पारिवारिक मतभेद के योग बन सकते हैं।
अष्टम भाव में केतु : अष्टम भाव में केतु यदि शुभ हो तो व्यक्ति साहसी, गंभीर और मनोयोगी होता है। उसे अनुसंधान, तंत्र-मंत्र, योग और गूढ़ ज्ञान में रुचि मिलती है। साथ ही खेल-कूद, ऐतिहासिक या रहस्यमय विषयों में कुशलता, धन और सरकार से लाभ की संभावना भी रहती है। यदि केतु अशुभ हो तो जीवन में मित्रों या परिवार से दूरी, विवाद और अलगाव, साथ ही मानसिक द्वंद्व, अजीब स्वभाव और पारिवारिक कलह की परिस्थितियां बन सकती हैं।
कुल मिलाकर, अष्टम भाव जीवन के रहस्यों, गहरे अनुभवों और अप्रत्याशित परिस्थितियों का दर्पण है। यह भाव धन, स्वास्थ्य, विवाह और करियर से जुड़े महत्वपूर्ण संकेत देता है और व्यक्ति को संकटों से निपटने, अनुसंधान करने और मानसिक दृढ़ता प्राप्त करने में मदद करता है। अष्टम भाव का ज्ञान हमें यह समझने में मार्गदर्शन देता है कि जीवन की रहस्यमय चुनौतियां भी विकास और सफलता के नए मार्ग खोलती हैं, और सही ग्रहों के प्रभाव से यह व्यक्ति को सशक्त, संतुलित और सकारात्मक जीवन की ओर ले जाता है।
ज्योतिष का मूल सिद्धांत यह है कि कुंडली में योगों के फल केवल भाव देखकर नहीं समझे जा सकते। इसके लिए वर्गकुंडली, ग्रहों का अंश, उनकी शक्ति, स्थिति, दृष्टि और युति जैसी सभी शास्त्रीय जानकारियों का ध्यान रखना जरूरी है। यही संपूर्ण अध्ययन हमें भविष्य की घटनाओं का सटीक अंदाज़ा लगाने में सक्षम बनाता है। ध्यान रहे, जन्मकुंडली केवल संभावनाओं का मानचित्र है, निश्चित नियति नहीं।
The post जन्मकुंडली का आठवां भाव : जहां संकट बनता है सफलता की सीढ़ी, अमिताभ की कुंडली बड़ा उदाहरण appeared first on News Room Post.
You may also like

बॉलीवुड के एक्टर राज किरण: ग्लैमर से गुमनामी तक का सफर

बिना पार्किंग के अस्पताल, अपार्टमेंट और व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं हाेंगे संचालित : जीडीए उपाध्यक्ष

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिए कड़े दिशा-निर्देश

रन फाॅर यूनिटी के माध्यम से युवाओं को जोड़ेगी भाजपा : डॉ रमापति राम त्रिपाठी

Car Tips: सफर में रखें ये 5 सावधानियां, नहीं टूटेगी कार की विंडशील्ड




