लाइव हिंदी खबर :- पितृ पक्ष के दौरान, श्राद्ध तर्पण का आयोजन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि इस प्रक्रिया के बाद, पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है या वे नए जन्म में प्रवेश करते हैं। यदि वे नए जन्म में आते हैं, तो उनके पिछले जन्म से उनका संबंध बना रहता है। संकेतों के माध्यम से, बच्चे कभी-कभी अपने पिछले जन्म की यादों को साझा करते हैं या ऐसी गतिविधियों में लिप्त होते हैं जो उनके पूर्वजों से जुड़ी होती हैं।
पिछले जन्म के संकेतों की पहचान
कई बार छोटे बच्चे अपने पिछले जन्म की बातें करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अपने पूर्वजों से जुड़े हुए हैं। यह भी देखा गया है कि जब लोग किसी नए स्थान पर जाते हैं, तो उन्हें वह जगह जानी-पहचानी लगती है। यह अनुभव पिछले जन्म से संबंधित हो सकता है।
अब सवाल यह है कि ये संकेत कैसे मिलते हैं? जो लोग इन संकेतों को समझते हैं, वे अपने पिछले जन्म की यादों को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। जैन और हिंदू धर्म में जाति स्मरण की प्रक्रिया इस संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
पंडित सुनील शर्मा का दृष्टिकोण
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार, मन और चित्त में भिन्नता होती है। चित्त में एक लाख जन्मों की स्मृतियाँ संग्रहित होती हैं, जो कभी नष्ट नहीं होतीं। वर्तमान जन्म से पहले का जन्म सबसे स्पष्ट होता है, क्योंकि हम उसी जन्म से इस जीवन में आए हैं।
पिछले जन्म से जुड़े संकेत
: पिछले जन्म की यादें : अक्सर, पिछले जन्म की घटनाएँ वर्तमान में भी महसूस होती हैं। जीवन एक चक्र है, और कभी-कभी हम एक जैसी घटनाओं का सामना करते हैं।
: बुरी घटनाओं के संकेत : यदि पिछले जन्म में बुरी घटनाएँ हुई हैं, तो इस जन्म में भी व्यक्ति को अनहोनी का भय हो सकता है।
: जाने-पहचाने चेहरे : कभी-कभी, अनजाने लोगों को देखकर ऐसा लगता है कि आप उन्हें पहले से जानते हैं। यह पिछले जन्म के किसी व्यक्ति से मिलते-जुलते चेहरे का संकेत हो सकता है।
: अजीब अनुभव : जब आप किसी नए स्थान पर जाते हैं और आपको लगता है कि आप पहले भी यहाँ आए हैं, तो यह भी पिछले जन्म का संकेत हो सकता है।
: सपनों में अतीत : कई बार, सपनों में ऐसे स्थान या घटनाएँ आती हैं जो पिछले जन्म से जुड़ी होती हैं।
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