कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 कब शुरू होगी: कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रतीक है, जल्द ही पुनः आरंभ होने जा रही है। भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन का सपना देखने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के चलते, यह यात्रा 2020 के बाद पहली बार शुरू होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय ने इसकी तैयारियों में जुटना शुरू कर दिया है। आइए, इस पवित्र यात्रा के बारे में नवीनतम जानकारी और इसके महत्व के बारे में जानते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा: पांच साल बाद फिर से शुरू
2020 में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद और कोरोना महामारी के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लग गई थी। लेकिन अब, दोनों देशों के बीच अक्टूबर 2024 में हुए समझौते के बाद डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी हो चुकी है। इस सकारात्मक बदलाव ने यात्रा को फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में बताया कि जल्द ही इस यात्रा के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2025 में यात्रा शुरू होने की पूरी संभावना है, और इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का धार्मिक महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान है, जबकि मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा द्वारा निर्मित माना जाता है। बौद्ध धर्म में यह पर्वत गुरु रिनपोचे से जुड़ा है, और जैन धर्म में इसे पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के निर्वाण स्थल के रूप में पूजा जाता है। तिब्बत के बॉन धर्म में भी इसे पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालु कैलाश पर्वत की 40 किलोमीटर की परिक्रमा करते हैं और मानसरोवर झील में स्नान करते हैं, जिसे पापों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
यात्रा की तैयारियां और नई सुविधाएं
विदेश मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार ने इस यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से शुरू होने वाली यह यात्रा अब पहले से कम समय लेगी। नई सड़क सुविधा के कारण धारचूला से लिपुलेख दर्रे तक का सफर, जो पहले 8 दिन लेता था, अब एक ही दिन में पूरा हो जाएगा। इससे यात्रा का कुल समय 24 दिनों से घटकर 10 दिन हो सकता है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए पर्यटन विभाग ने हट्स तैयार किए हैं। यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) को सौंपी गई है, जबकि कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) सहायता प्रदान करेंगे।
यात्रा के लिए आवश्यक तैयारियां
कैलाश मानसरोवर यात्रा शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। यह यात्रा समुद्र तल से 19,500 फीट की ऊंचाई पर ठंडे और ऊबड़-खाबड़ इलाकों से होकर गुजरती है। इसलिए इसके लिए श्रद्धालुओं को शारीरिक रूप से फिट और मेडिकल टेस्ट में स्वस्थ होना आवश्यक है। न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 70 वर्ष होनी चाहिए, और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 या उससे कम होना चाहिए। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू होने की सूचना जल्द दी जाएगी। यात्रियों को वैध पासपोर्ट, मेडिकल सर्टिफिकेट, और अन्य जरूरी दस्तावेज जैसे शपथ पत्र और पासपोर्ट साइज फोटो साथ रखने होंगे।
श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी
2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-चीन के बीच बेहतर रिश्तों का भी प्रतीक है। विदेश मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि इस यात्रा के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और जलविज्ञान डेटा साझा करने जैसे अन्य सहयोग भी शुरू हो सकते हैं। यह खबर उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए उत्साहवर्धक है जो इस पवित्र यात्रा का इंतजार कर रहे हैं।
यात्रा की शुरुआत कब होगी?
हालांकि सटीक तारीख की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि यात्रा जून 2025 से शुरू हो सकती है। यह यात्रा पारंपरिक रूप से जून से सितंबर के बीच आयोजित होती है, और इस बार भी यही समय अनुमानित है। पूर्णिमा के दौरान मानसरोवर झील के दर्शन का विशेष महत्व है, इसलिए कई यात्री इस समय को चुनते हैं। जैसे ही विदेश मंत्रालय नोटिस जारी करेगा, हम आपको ताजा अपडेट्स देंगे।
यात्रा की तैयारी करें
कैलाश मानसरोवर यात्रा हर शिव भक्त का सपना है। यदि आप इस पवित्र यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो अभी से शारीरिक और मानसिक तैयारी शुरू कर दें। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर नजर रखें और जरूरी दस्तावेज तैयार करें। यह यात्रा न केवल आपके विश्वास को मजबूत करेगी, बल्कि आपको प्रकृति और आध्यात्मिकता के करीब भी लाएगी।
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