राजस्थान विधानसभा में हाल ही में पारित चार महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे की मंजूरी मिल गई है। मंजूरी के साथ ही ये कानून राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इन विधेयकों में लोकतंत्र सेनानियों को आर्थिक और सामाजिक सम्मान देने से लेकर पुराने अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने और विश्वविद्यालयों में पदनामों के बदलाव तक के प्रावधान शामिल हैं।
लोकतंत्र सेनानियों को मिलेगी ₹20,000 मासिक पेंशन
‘राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2024’ के तहत आपातकाल के दौरान जेल में रहे लोकतंत्र सेनानियों या उनके आश्रितों को अब ₹20,000 मासिक पेंशन, ₹4,000 मेडिकल भत्ता और रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय पर्वों पर इन्हें विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित भी किया जाएगा।
राज्य सरकार ने यह व्यवस्था पुनः लागू की है, जिसे कांग्रेस सरकार ने 2019 में बंद कर दिया था। इस योजना से वर्तमान में करीब 1,140 लोकतंत्र सेनानी और उनके परिवार लाभान्वित होंगे।
45 पुराने कानूनों की समाप्ति
‘राजस्थान विधियां निरसन अधिनियम 2025’ के तहत राज्य सरकार ने 45 अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर दिया है। इनमें से अधिकांश कानून पंचायतीराज से जुड़े थे, जिनका अब कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं रह गया है। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होने की उम्मीद है।
न्यायिक पदों में बदलाव
‘राजस्थान विधियां संशोधन अधिनियम 2025’ के तहत अब जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर और अजमेर विकास प्राधिकरणों में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद किया गया है।
कुलपति का नाम अब ‘कुलगुरु’
‘राजस्थान विश्वविद्यालय विधियां संशोधन विधेयक 2025’ के तहत राज्य के 33 विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ (Vice-Chancellor) के पदनाम को अब ‘कुलगुरु’ कर दिया गया है। इसके अलावा ‘प्रति-कुलपति’ को अब ‘प्रति-कुलगुरु’ कहा जाएगा। सरकार का तर्क है कि "गुरु" शब्द विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण और मार्गदर्शन की भावना को बेहतर दर्शाता है, जबकि ‘कुलपति’ शब्द केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी को सूचित करता है।
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