भारतीय सनातन धर्म में देवी शक्ति की आराधना का विशेष स्थान है। माँ शक्ति के अनेक रूपों की पूजा देशभर में होती है। देवी पुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, माँ सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं, लेकिन इनमें से 9 शक्तिपीठ अत्यंत प्रसिद्ध और श्रद्धा के केंद्र माने जाते हैं। आइए जानते हैं इन 9 प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में विस्तार से।
1. वैष्णो देवी शक्तिपीठ (जम्मू-कश्मीर)जम्मू के त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित माँ वैष्णो देवी का मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ माँ को वैष्णवी रूप में पूजा जाता है। पिंडी स्वरूप में विराजित माँ के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों श्रद्धालु कठिन यात्रा कर पहुँचते हैं। मान्यता है कि माँ वैष्णो देवी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
2. कामाख्या देवी शक्तिपीठ (असम)गुवाहाटी (असम) में नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या शक्तिपीठ अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली स्थल है। यहाँ माँ सती का योनि भाग गिरा था। कामाख्या देवी को प्रजनन शक्ति और उर्वरता की देवी माना जाता है। हर वर्ष अंबुबाची मेले के समय यहाँ लाखों साधक और तांत्रिक साधना के लिए एकत्र होते हैं।
3. कालीघाट शक्तिपीठ (कोलकाता)कोलकाता के कालीघाट में स्थित माँ काली का मंदिर शक्तिपीठों में प्रमुख है। यहाँ माँ सती के दाहिने पैर की अँगुली गिरी थी। काली माता का भयानक और करुणामयी दोनों स्वरूपों में पूजन होता है। यह शक्तिपीठ भक्तों के लिए संकट मोचन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
4. ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश)हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वालामुखी मंदिर विशेष अद्भुत शक्तिपीठ है। यहाँ बिना किसी ईंधन के सदियों से अग्नि ज्योतियाँ स्वतः प्रज्वलित होती हैं। मान्यता है कि यहाँ माँ सती की जिव्हा गिरी थी। भक्तों का विश्वास है कि ज्वालामुखी माता साक्षात अग्नि स्वरूपा देवी हैं।
5. चिंतपूर्णी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश)चिंतपूर्णी देवी मंदिर भी हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है। यहाँ माँ सती के चरण गिरे थे। 'चिंतपूर्णी' का अर्थ है – जो चिंता हरने वाली हों। माँ के दरबार में सच्चे मन से की गई प्रार्थना सभी दुखों और चिंताओं का निवारण करती है।
6. हिंगलाज माता शक्तिपीठ (बलूचिस्तान, पाकिस्तान)हालाँकि यह शक्तिपीठ आज पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है, फिर भी हिंदू श्रद्धालुओं के लिए इसका बड़ा महत्व है। मान्यता है कि यहाँ माँ सती का मस्तक गिरा था। हिंगलाज माता को 'हिंगलाज शक्ति' और 'चंडी देवी' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ तक पहुँचना कठिन होने पर भी श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए प्रयासरत रहते हैं।
7. महालक्ष्मी शक्तिपीठ (कोल्हापुर, महाराष्ट्र)कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर देवी के अत्यंत पूजनीय स्थलों में से एक है। यहाँ माँ सती की आँखें गिरी थीं। महालक्ष्मी देवी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। यह शक्तिपीठ आर्थिक उन्नति और सुख-समृद्धि की कामना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
8. ब्रह्मरंभा शक्तिपीठ (श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश)श्रीशैलम के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के समीप स्थित ब्रह्मरंभा शक्तिपीठ दक्षिण भारत का प्रमुख शक्ति स्थल है। यहाँ माँ सती का गला गिरा था। ब्रह्मरंभा देवी की पूजा तांत्रिक साधना के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह स्थल शिव और शक्ति दोनों की आराधना का केंद्र है।
9. श्रीपुरम शक्तिपीठ (त्रिपुरा)त्रिपुरा के उज्जयन्तपुर (अब श्रीपुर) में स्थित त्रिपुरेश्वरी देवी का मंदिर एक प्राचीन शक्तिपीठ है। यहाँ माँ सती का दायाँ पैर गिरा था। त्रिपुरेश्वरी माँ को तीनों लोकों की अधिपति देवी माना जाता है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
उपसंहारभारत के ये 9 शक्तिपीठ माँ शक्ति की अनंत महिमा और श्रद्धा का प्रतीक हैं। प्रत्येक शक्तिपीठ अपने भीतर एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव, चमत्कारिक शक्तियाँ और भक्ति की दिव्यता समेटे हुए है। सच्चे मन से माँ शक्ति की आराधना करने वाला भक्त जीवन के सभी दुखों से मुक्ति पा सकता है और अपनी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण कर सकता है। इन पवित्र स्थलों की यात्रा करना न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि आत्मा को भी शांति और संतोष प्रदान करता है।
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