छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में डेढ़ हजार माओवादियों को सरकार की पकड़ से बाहर निकालने और उन्हें पुनर्वास कराने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। अभियान का मकसद माओवादी गतिविधियों को रोकना और उन्हें मुख्यधारा में लाना बताया गया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह अभियान राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के सहयोग से संचालित किया जाएगा। अभियान का स्लोगन रखा गया है: “मरो या आत्मसमर्पण करो”, जिसका उद्देश्य माओवादियों को साफ संदेश देना है कि हिंसा छोड़कर ही वे सुरक्षित भविष्य पा सकते हैं।
सुरक्षा बलों ने बताया कि अभियान में न केवल माओवादी ठिकानों पर कार्रवाई होगी, बल्कि स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को भी सुरक्षित पुनर्वास की सुविधा दी जाएगी। इसके तहत शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सहायता जैसी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा ताकि वे मुख्यधारा में लौट सकें।
अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में माओवादी हिंसा में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी कुछ इलाके पूरी तरह से प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में अब भी ग्रामीण लोग और सुरक्षा बलों के बीच तनाव की स्थिति बनी रहती है। इस अभियान के जरिए सरकार का लक्ष्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करना है।
राजनीतिक और सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अभियान दोहरे संदेश देते हैं। पहला संदेश है कि हिंसा का कोई स्थान नहीं है और दूसरा यह कि सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सकारात्मक और वैकल्पिक मार्ग भी प्रदान कर रही है।
अभियान के दौरान ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं से भी संपर्क किया जाएगा ताकि वे माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित कर सकें। इसके अलावा, प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि युवाओं को हिंसा के रास्ते की बजाय विकास की दिशा में आकर्षित किया जा सके।
सुरक्षा बलों ने कहा कि अभियान पूरी तरह सतर्कता और रणनीति के साथ संचालित होगा। किसी भी तरह के हिंसक टकराव से बचने के लिए विशेष प्रशिक्षण और तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
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