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इंदौर-उज्जैन-पीथमपुर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी, लागत, मार्ग और अन्य विवरण देखें

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मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन-इंदौर-पीथमपुर मेट्रो रेल परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए परामर्श शुल्क को मंज़ूरी दे दी है। पहले चरण में, मेट्रो लाइन उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर को इंदौर के लवकुश चौराहे से जोड़ेगी, जबकि दूसरे चरण में इसे लवकुश चौराहे से पीथमपुर तक विस्तारित किया जाएगा। मंगलवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। रिपोर्टों के अनुसार, परामर्श कार्य दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएमआरसी) को 9 लाख रुपये प्रति किलोमीटर की लागत से सौंपा गया है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है।

उपनगरों को भी जोड़ा जाएगा
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य की मेट्रो परियोजना केवल इंदौर और भोपाल तक सीमित नहीं है। यह आसपास के उपनगरीय क्षेत्रों को भी जोड़ेगी, जिससे यह एक बड़े पैमाने पर परिवहन पहल बन जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि हालाँकि पूरे मेट्रो नेटवर्क को पूरा होने में 20 से 25 साल लग सकते हैं, लेकिन काम पहले ही शुरू हो चुका है।

मेट्रो का संचालन कब शुरू होगा?
मंत्री ने पुष्टि की कि इंदौर-उज्जैन और इंदौर-पीथमपुर मार्गों के लिए सर्वेक्षण कार्य अभी चल रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले चार से पाँच वर्षों में पीथमपुर से इंदौर होते हुए उज्जैन तक मेट्रो सेवाएँ शुरू हो जाएँगी। उन्होंने यह भी बताया कि इंदौर से देवास तक मेट्रो सेवाओं के विस्तार की योजना पर विचार किया जा रहा है। यदि संभव हो, तो यातायात सर्वेक्षण और भविष्य की संभावनाओं का आकलन करने के बाद, नेटवर्क का विस्तार इंदौर से धार तक भी किया जा सकता है।

ई-विवेचना ऐप के लिए टैबलेट स्वीकृत
इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद ने अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) परियोजना के अंतर्गत 'ई-विवेचना ऐप' के लिए 75 करोड़ रुपये मूल्य के 25,000 टैबलेट खरीदने को भी मंजूरी दी। इससे 102.88 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत से पाँच वर्षों (2021-22 से 2025-26) तक इसका निरंतर कार्यान्वयन और संचालन सुनिश्चित होगा।

मंत्रिमंडल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के प्रभावी क्रियान्वयन, आपराधिक न्याय प्रणाली के सुचारू संचालन और 'प्रति न्यायालय एक अभियोजक' के सिद्धांत के अनुरूप अभियोजकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अभियोजन निदेशालय के अंतर्गत 610 नए पदों के सृजन को भी मंजूरी दी।

जल योजनाओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ
अनुमोदन के अनुसार, नए पदों में 185 अतिरिक्त लोक अभियोजक, 255 अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी, 100 सहायक जिला अभियोजन अधिकारी और 70 सहायक कर्मचारी शामिल होंगे। इन पदों के सृजन पर तीन वर्ष की अवधि में लगभग 60 करोड़ रुपये का व्यय होगा। मंत्रिपरिषद ने मध्य प्रदेश जल निगम की समूह ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव की लागत को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना को भी मंजूरी दी।

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