—बच्चों और किशोरों में जन्मजात एवं अर्जित हृदय रोगों के प्रति जागरूकता अभियान
वाराणसी, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) . काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के हृदय रोग विभाग एवं महिला महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की संयुक्त पहल पर मंगलवार को “धड़कन : एक नई पहल” कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इस अभिनव पहल का उद्देश्य बच्चों और किशोरों में जन्मजात एवं अर्जित हृदय रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है.
कार्यक्रम के तहत विशेषज्ञों की एक टीम शहर के विभिन्न विद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को हृदय की सामान्य संरचना और कार्यप्रणाली, उसमें होने वाले संभावित विकार, रोकथाम के उपाय, संतुलित आहार, स्वस्थ जीवनशैली, एवं उपलब्ध उपचार पद्धतियों के बारे में जानकारी देगी.
—केन्द्रीय विद्यालय बीएचयू से हुई शुरुआत
इस अभियान की पहली कड़ी के रूप में केन्द्रीय विद्यालय (केवी), बीएचयू का चयन किया गया, जहाँ कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया. एनाटॉमी विभाग की डॉ. मृण्मयी ने छात्रों को हृदय की संरचना और कार्य के बारे में विस्तृत और सरल ढंग से समझाया. कार्यक्रम में एक क्विज़ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम को सफल बनाने में गृह विज्ञान विभाग की रोशनी गुप्ता, अनामिका गौतम, शिखा पंवार, आकांक्षा राज, निष्ठा और निधि, साथ ही साइकोलॉजी विभाग की भाव्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
—स्वास्थ्य शिक्षा: अस्पताल से समाज तक
गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. मुक्ता और प्रो. ललिता वाटा ने बताया कि स्वास्थ्य शिक्षा को अस्पताल की दीवारों से बाहर निकालकर सीधे समाज तक पहुँचाना बेहद जरूरी है. जागरूकता ही रोकथाम की पहली सीढ़ी है. हृदय रोग विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रतिभा राय ने बताया कि कि जहाँ जन्मजात हृदय रोगों का समय पर इलाज संभव है, वहीं अर्जित हृदय रोगों की रोकथाम शिक्षा, पोषण और जीवनशैली में बदलाव से ही संभव है. इससे आने वाली पीढ़ी को बचाया जा सकता है. आईएमएस-बीएचयू के निदेशक ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान की समाज-सेवा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “स्वस्थ और फिट युवा भारत” के संकल्प के अनुरूप है. हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. विकास अग्रवाल ने बताया कि कि पूर्वांचल के कई विद्यालय इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और यदि कोई विद्यालय इसमें रुचि रखता है तो वह सीधे ‘धड़कन टीम’ से संपर्क कर सकता है.
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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