देहरादून, 28 मई . उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड की पहली योग नीति, उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली, उत्तराखंड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट की नई नीति, उत्तराखण्ड विष (कब्जा और विक्रय) नियमावली को मंजूरी दी गई. इसके अलावा राज्य के कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की नई व्यवस्था, उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 में किये गये कतिपय संशोधनों सहित कुल 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हुई. इस बैठक के बाद सचिव शैलेश बगोली ने मीडिया सेंटर में मंत्रिमंडल के फैसलों को लेकर ब्रीफिंग की. उन्होंने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून व हल्द्वानी के समीप रोगियों के तीमारदारों के लिए एम्स ऋषिकेश की भांति विश्रामगृहों बनाने का निर्णय लिया गया है. किसी संस्था के माध्यम से उनके रहने खाने की व्यवस्था की जाएगी. सरकार जमीन उपलब्ध कराएगी. ये सुविधा बेहद सस्ती दरों पर मिलेगी.
सचिव बगोली ने बताया कि सरकार ने उत्तराखंड योग नीति 2025 को कैबिनेट की मंजूरी दी है. यह देश की प्रथम योग नीति है, जो राज्य को योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है. नीति का विज़न उत्तराखंड को योग और वेलनेस का वैश्विक केन्द्र बनाना है. उन्हाेंने बताया कि नीति के तहत कुछ विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जैसे कि वर्ष 2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए योग हब स्थापित किए जाएंगे. मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. समुदाय-आधारित माइंडफुलनेस कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे, जो अलग-अलग आयु, लिंग और वर्ग की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त, योग संस्थानों का शत प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित किया जाएगा, एक विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफार्म शुरू किया जाएगा, योग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार अभियान और अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा तथा मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ भागीदारी विकसित करने का लक्ष्य है.
शैलेश बगोली ने बताया कि नवीन स्थापित होने वाले तथा एक्सपेंशन करने वाले केन्द्रों को पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख तक और मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा. कुल वार्षिक अनुदान की सीमा 5 करोड़ तक होगी. जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील को योग हब के रूप में विकसित किए जाने का लक्ष्य है. इन क्षेत्रों में विकसित होने वाले योग केन्द्रों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी. योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए 10 लाख तक प्रति परियोजना का अनुदान दिया जाएगा. यह सुविधा विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और एनजीओ के लिए होगी. कुल मिलाकर नीति अवधि में 1 करोड़ तक की राशि अनुसंधान के लिए निर्धारित की गई है.
शैलेश बगोली ने बताया कि राज्य में पहले से चल रहे होमस्टे, रिसॉर्ट, होटल, स्कूल, कॉलेज आदि में यदि योग केन्द्र स्थापित किए जाते हैं तो नियोजित होने वाले योग अनुदेशक के लिए प्रति सत्र 250 तक की प्रतिपूर्ति उक्त संस्था को दी जाएगी, प्रति केन्द्र में एक अनुदेशक के लिए प्रति माह 20 सत्रों की प्रतिपूर्ति की जाएगी. योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना की जायेगी, जो इस पूरी नीति के संचालन, नियमन, अनुदान वितरण और विभिन्न गतिविधियों की निगरानी करेगा. निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक स्टाफ शामिल होंगे. निदेशालय का कार्य योग केंद्रों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना, योग संस्थानों का पंजीकरण और योग प्रमाणन बोर्ड के अंतर्गत मान्यता प्राप्त करवाना, योग केंद्रों की रेटिंग प्रणाली बनाना और एम.ओ.यू. के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना होगा.
शैलेश बगोली ने बताया कि नीति की समीक्षा और निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन किया जाएगा. नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार द्वारा आगमी 5 वर्षों में लगभग 35 करोड़ का व्यय होगा, इसमें से योग केंद्रों के लिए ₹25 करोड़, अनुसंधान के लिए 1 करोड़, शिक्षक प्रमाणन के लिए 1.81 करोड़ और मौजूदा संस्थानों में योग सत्रों के लिए संचालन में सहयोग के लिए 7.5 करोड़ के व्यय होने का आकलन है. इस नीति से राज्य को कई प्रकार के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे. एक ओर यह राज्य में लगभग 13,000 से अधिक रोजगार सृजित करेगी, 2500 योग शिक्षकों के लिए योगा सर्टिफिकेशन बोर्ड से प्रमाणित होंगे और 10,000 से अधिक योग अनुदेशकों को होमस्टे,होटल आदि में रोजगार मिलने की संभावना है.
शैलेश बगोली ने बताया कि उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में संशोधन को मंजूरी दी गई. स्थानीय लोगों को रोजगार पर फोकस देते हुए नियमावली में प्रावधान किए गए. विभिन्न विभागों में पांच करोड़ की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ की गई है. ई-श्रेणी के पंजीकृत ठेकेदार और डी श्रेणी के पंजीकृत ठेकों की सीमा बढ़ा दी गई. स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख तक के कार्य दिए जा सकते हैं. एमएसएमई संबंधी बिंदु भी पास किए गए हैं. लोवेस्ट टेंडर से 10 प्रतिशत अधिक तक एमएसएमई में डालना होगा तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी. प्रोक्योरमेंट नॉन कंसेलटेंसी वाले कामों में भी अनुमन्यता. पारदर्शी टेंडर के लिए सिक्योरिटी राशि की वजह से कागजी काम होता था. आने वाले समय में इसे ऑनलाइन किया जाएगा. टेंडर की सेक्युरिटी ऑनलाइन जमा करने के लिए बैंक से ईबीजी की सुविधा देंगे. टेंडर पर शिकायत पर कार्रवाई के लिए आइएफएमएस पोर्टल पर ग्रीवांस रिड्रेसल की व्यवस्था होगी.
शैलेश बगोली ने बताया कि उत्तराखंड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 (मेगा पॉलिसी-2025) नई नीति में उद्योगों को 4 श्रेणी में बंटा गया है. यह आगामी पांच साल के लिए होगी. 50 से 200 करोड़ की लार्ज-50 स्थायी रोजगार पर 10 फीसदी सब्सिडी मिलेगी. अल्ट्रा लार्ज की 200 से 500 करोड़ की योजना में 150 स्थायी रोजगार जरूरी. इसमें 15 फीसदी सब्सिडी मिलेगी. मेगा की 500 से 1000 करोड़ की योजना में अंतर्गत वर्गीकृत करते हुये इनके लिये क्रमशः 50, 150, 300 और 500 न्यूनतम स्थायी रोजगार की सीमा निर्धारित की गयी है. उक्त निवेश के लिये कैफ आवेदन की तिथि से 03 से 07 वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गयी है.
उन्हाेंने बताया कि राज्य में उत्तराखंड निबन्धन लिपिक वर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली, 2025 प्रख्यापित करने का निर्णय लिया गया है. उत्तराखंड विष (कब्जा और विक्रय) नियमावली, 2023 की अनुसूची में संशोधन नियमावली के तहत मिथाइल एल्कोहल को शामिल करने पर मंजूरी दी गई है. राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग नियमावली में लेखा संवर्ग के पूर्व की व्यवस्था जारी रहेगी. राज्य बांध सुरक्षा संगठन, उत्तराखण्ड द्वारा तैयार वार्षिक तैयार वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 की रिपोर्ट सदन में रखा जाएगा. उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 मंजूरी दी गई है. उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के ढांचें में 11 अतिरिक्त पद सृजित करने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश में संचालित अटल आयुष्मान योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में लंबित देनदारियों की प्रतिपूर्ति के लिए 75 करोड़ रुपये स्वास्थ विभाग को लोन के रूप में आवंटन किया है.
/ राजेश कुमार
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