लेखक: भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
Indian रिजर्व बैंक (RBI) ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए Indian मुद्रा ‘रुपया’ को वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. आरबीआई ने घोषणा की है कि अब Indian बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के गैर-निवासियों को सीमा पार व्यापार (Cross Border Trade) के लिए ऋण प्रदान कर सकेंगे. यह निर्णय भारत की करेंसी इंटरनेशनलाइजेशन (Currency Internationalisation) की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भारत की आर्थिक शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.

अब तक अमेरिकी डॉलर जैसी वैश्विक करेंसी ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख आधार रही है. भारत जैसे उभरते हुए देश भी ज्यादातर व्यापार डॉलर में करते आए हैं. लेकिन आरबीआई के इस कदम से धीरे-धीरे Indian रुपया भी सीमा पार व्यापार का प्रमुख माध्यम बनेगा. पड़ोसी देशों के व्यापारी जब Indian रुपये में लोन लेकर लेन-देन करेंगे, तो स्वाभाविक रूप से रुपया एक प्रभावशाली व्यापारिक मुद्रा के रूप में स्थापित होगा.
यह पहल केवल मुद्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक और कूटनीतिक कदम है. पड़ोसी देशों में रुपये की स्वीकार्यता भारत की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगी. जब छोटे देश अपनी अर्थव्यवस्था के लिए Indian रुपये पर निर्भर होंगे, तब भारत का क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव और भी सशक्त होगा.
लंबे समय से वैश्विक व्यापार पर अमेरिकी डॉलर का दबदबा रहा है. भारत की ऊर्जा, आयात और विदेशी व्यापार के लिए भारी मात्रा में डॉलर की आवश्यकता होती है. लेकिन यदि रुपया वैश्विक व्यापार में अपनी जगह बना लेता है, तो डॉलर पर निर्भरता घटेगी. इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा और रुपया अधिक स्थिर एवं सशक्त बनेगा.

इस फैसले से व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी. पड़ोसी देशों को रुपये में लोन मिलने से वे Indian बाजार से अधिक आयात करेंगे और भारत में निवेश को भी प्रोत्साहित करेंगे. इससे Indian कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे, रोजगार सृजन बढ़ेगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
-
चीन ने युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) अपनाया. आज युआन IMF की SDR टोकरी में शामिल है.
-
यूरोप ने 1999 में यूरो को लागू किया, जो आज 20 से अधिक देशों की साझा मुद्रा है और डॉलर के बाद दूसरी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली करेंसी है.
-
जापान की करेंसी ‘येन’ एशिया में व्यापक रूप से प्रचलित है और अंतरराष्ट्रीय निवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
-
रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए व्यापार को रूबल और युआन जैसी करेंसी में शिफ्ट किया.
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि सही नीति और रणनीति के साथ कोई भी देश अपनी करेंसी को वैश्विक पहचान दिला सकता है. भारत का यह कदम भी उसी दिशा में एक साहसिक और दूरदर्शी पहल है.

Indian रिजर्व बैंक का यह निर्णय केवल वित्तीय सुधार नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बढ़ाया गया एक निर्णायक कदम है. यदि यह पहल सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में रुपया वैश्विक करेंसी के रूप में उभरेगा और भारत न केवल एशिया बल्कि विश्व स्तर पर एक मजबूत आर्थिक शक्ति बनेगा.
यह निर्णय भारत के लिए “डॉलर निर्भरता से आत्मनिर्भरता” की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा.
You may also like
दशहरे पर विधायक केलकर ने सिविल अस्पताल में मरीजों को भोजन बांटा
इन कारणों से एफआईआई कर सकते हैं हैवी बाइंग, शेयर बाज़ार में सिनेरियो बदलने वाला है, बैंकिंग और आईटी सेक्टर में तेज़ी
पीएम किसान 21वीं किस्त 2025: दिवाली से पहले ₹2,000 की राशि होगी जारी, ऐसे करें ऑनलाइन स्टेटस चेक
SUV प्रेमियों के लिए खुशखबरी! महिंद्रा ला रही Thar, Bolero और Bolero Neo का अपडेटेड मॉडल
क्या आपका टूथब्रश आपकी सेहत के लिए खतरा है?