कानपुर, 09 सितंबर (Udaipur Kiran) । वर्तमान की ऑटोमोबाइल तकनीक सॉफ्टवेयर-आधारित होती जा रही है, और ऐसे में साइबर सुरक्षा के लिए एक अहम स्तंभ बन गई है। एआरएआई के साथ यह साझेदारी हमें संयुक्त रूप से समाधान विकसित करने और ऑटोमोटिव सुरक्षा अनुसंधान में क्षमता निर्माण का अवसर देगी। यह बातें मंगलवार को आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कही।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) का C3iHub (साइबर सुरक्षा टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब), जिसे हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क्स (टीटीआरपी) में अपग्रेड किया गया है, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस साझेदारी का उद्देश्य ऑटोमोटिव साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना है।
एआरएआई निदेशक डॉ. रेजी माथाई ने कहा कि एआरएआई हमेशा मोबिलिटी और सुरक्षा में नई तकनीकों को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। आईआईटी कानपुर और C3iHub के साथ यह साझेदारी हमारे संयुक्त अनुभव और विशेषज्ञता को एकजुट कर भविष्य के लिए सुरक्षित और सतत ऑटोमोटिव समाधान विकसित करने में मदद करेगी।
क्या है एआरएआई?
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) की स्थापना 1966 में हुई थी और इसका मुख्यालय पुणे में स्थित है। यह संस्थान भारत में ऑटोमोटिव क्षेत्र का एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र है, जो वाहन तकनीकों के विकास, परीक्षण, प्रमाणन और मान्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
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