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हिमाचल में 25 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट, भूस्खलन से 356 सड़कें ठप

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शिमला, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की तबाही लगातार जारी है। राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मंगलवार को भी जमकर बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 25 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान कई जिलों में गरज-चमक, अंधड़ और बिजली गिरने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के अनुसार 20 अगस्त को ऊना, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में बिजली गिरने का येलो अलर्ट रहेगा। 21 अगस्त को कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। वहीं 22 और 23 अगस्त को उना, चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

बीते 24 घंटों में शिमला के जुब्बड़हट्टी में सबसे अधिक 70 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। ऊना के अंब में 60, कुल्लू के भुंतर में 50 और शिमला व बिलासपुर में 40-40 मिमी बारिश हुई।

लगातार हो रही बारिश से प्रदेश में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। भूस्खलन की घटनाओं ने यातायात व्यवस्था चरमरा दी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक मंगलवार शाम तक प्रदेश में एक नेशनल हाइवे और 356 सड़कें बंद रहीं। अकेले मंडी जिले में 179 सड़कें ठप हैं। कुल्लू में 104, कांगड़ा में 21 और शिमला में 16 सड़कें बंद पड़ी हैं। कुल्लू जिले में एनएच-305 पूरी तरह से बाधित है।

भारी बारिश से बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित हुई है। राज्यभर में 872 ट्रांसफार्मर ठप पड़े हैं, जिनमें से 597 सिर्फ कुल्लू जिले में हैं। मंडी में 253 और अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर बंद हैं। इसके अलावा प्रदेश की 140 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इनमें कुल्लू में 63, मंडी में 60 और कांगड़ा में 8 योजनाएं ठप पड़ी हैं।

आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक प्रदेश में 276 लोगों की मौत हो चुकी है, 37 लापता हैं और 336 लोग घायल हुए हैं। मृतकों में मंडी और कांगड़ा में सबसे अधिक 47-47 लोग शामिल हैं। चंबा में 34, शिमला में 26, किन्नौर में 25 और कुल्लू में 23 लोगों की जान गई है। अब तक 2,679 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से 621 पूरी तरह ढह गए। 376 दुकानें और 2,416 पशुशालाएं भी नष्ट हो गई हैं। अकेले मंडी जिले में 1,367 मकान, 299 दुकानें और 1,304 पशुशालाएं तबाह हुई हैं। बारिश और भूस्खलन से 1,797 पशुओं और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी हो चुकी है। सरकारी आकलन के मुताबिक अब तक प्रदेश को 2,216 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लोक निर्माण विभाग को अकेले 1,216 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 732 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है।

इसी बीच राजधानी शिमला में सोमवार देर रात नवबहार से राजभवन की ओर रामचंद्रा चौक के पास भारी भूस्खलन हुआ। सड़क पर मलबा और पेड़ गिरने से यातायात बाधित हो गया। भूस्खलन की चपेट में आसपास के तीन से चार सरकारी भवन भी आ गए। एहतियातन इन भवनों को खाली करवाकर करीब 35 से 40 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।

मंडी जिले के पद्दर उपमंडल की चौहारघाटी में भी भारी तबाही हुई है। यहां शिल्हबुधाणी और तरस्वाण पंचायतों में 6 फुट ब्रिज, एक वाहन, एक दुकान और सैकड़ों बीघा निजी भूमि तेज बहाव में बह गई। गनीमत रही कि किसी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ। पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार नालों के उफान पर आने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। किसानों और बागवानों को भारी नुकसान हुआ है।

उधर, कुल्लू जिले की लगघाटी में मंगलवार सुबह बादल फटने से दो दुकानों और एक बाइक को नुकसान पहुंचा। सरवरी क्षेत्र में एक पैदल पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। हालात को देखते हुए प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। कुल्लू और बंजार उपमंडल में सभी शिक्षण संस्थान मंगलवार को बंद रखे गए।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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