भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता हमेशा से इसकी ताकत रही है। हाल ही में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष Jamal Siddiqui ने एक साक्षात्कार में सनातन धर्म और इस्लाम के बीच गहरे रिश्तों की बात कही, जिसने लोगों का ध्यान खींचा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों धर्मों में कई समानताएं हैं और ये भारत की साझी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। यह बयान न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि देश की सामाजिक एकजुटता को भी मजबूत करने का प्रयास करता है।
Jamal Siddiqui ने अपने साक्षात्कार में कहा कि सनातन धर्म इस्लाम से बहुत पहले अस्तित्व में था और यह भारतीय सभ्यता की नींव है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म की शिक्षाएं और मूल्य आज भी हमारी संस्कृति का आधार हैं। उनके अनुसार, भले ही समय के साथ पूजा के तरीके बदल गए हों, लेकिन भारत की सांस्कृतिक जड़ें एक जैसी ही रहीं। सिद्दीकी ने यह भी कहा कि सनातन धर्म और इस्लाम के बीच कई समानताएं हैं, जो हमें आपसी भाईचारे और एकता की ओर ले जाती हैं।
सिद्दीकी ने अपने बयान में एक और महत्वपूर्ण बात कही कि भगवान Ram और Krishna को इस्लामिक परंपराओं में भी सम्मान का स्थान मिल सकता है। उन्होंने इस्लामिक धर्मशास्त्र का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम में 25 पैगंबरों का उल्लेख कुरान में है, लेकिन हदीस और परंपराओं के अनुसार, दुनिया भर में 1,24,000 पैगंबर भेजे गए थे। सिद्दीकी ने सवाल उठाया, “हम कैसे कह सकते हैं कि भगवान Ram और Krishna उनमें से नहीं थे? वे भी ईश्वर के दूत हो सकते हैं।” यह विचार न केवल धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सभी धर्मों में एकता की भावना मौजूद है।
“राम-कृष्ण को न मानने वाला मुसलमान नहीं”सिद्दीकी का यह बयान कि “जो मुसलमान Ram और Krishna को नहीं मानते, उन्हें मुसलमान नहीं कहा जा सकता” काफी चर्चा में रहा। उन्होंने इस्लामिक परंपराओं के आधार पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इन पूजनीय हस्तियों का सम्मान करना धार्मिक एकता का प्रतीक है। उनके इस बयान ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि धर्मों के बीच की दूरी को कैसे कम किया जा सकता है। सिद्दीकी का मानना है कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को समझने और उसका सम्मान करने से ही देश में शांति और एकता कायम हो सकती है।
भारत की साझी विरासत को मजबूत करने की जरूरतJamal Siddiqui का यह बयान भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी धर्मों की साझी विरासत को समझना और उसका सम्मान करना आज के समय की जरूरत है। सनातन धर्म और इस्लाम के बीच समानताओं पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने यह संदेश दिया कि हमें धर्मों को अलग करने के बजाय उनके साझा मूल्यों पर ध्यान देना चाहिए। यह विचार न केवल धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी प्रोत्साहित करता है।
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